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Human disestive system structure। मानव पाचन तंत्र की संरचना

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 मानव पाचन तंत्र परिचय Human disestive system structure मानव पाचन तंत्र में एक आहार नाल और सहयोगी ग्रंथियां जैसे यकृत अग्न्याशय आदि होती है। आहार-नाल,मुखगुहा ग्रसनी, ग्रसिका, आमाशय छोटी आंत,बड़ी आंत मलाशय व मलद्वार से बनी होती है। सहायक पाचन ग्रंथियों में लार ग्रंथि, यकृत, पित्ताशय और अग्न्याशय हैं। 1.मुखगूहा मुखगुहा पाचन नली के पहले भाग का प्रतिनिधित्व करता है।इसके अंतर्गत होंठ, मसूड़े जीभ, दांत लार ग्रंथियां मुँह का तालु इत्यादि अंग आते हैं। जीभ   मुख के तल पर एक पेशी होती है, जो भोजन को चबाना और निगलना आसान बनाती है। यह स्वाद अनुभव करने का प्रमुख अंग होता है, क्योंकि जीभ स्वाद अनुभव करने का प्राथमिक अंग है, जीभ की ऊपरी सतह पेपिला और स्वाद कलिकाओं से ढंकी होती है। जीभ का दूसरा कार्य है स्वर नियंत्रित करना। यह संवेदनशील होती है और लार द्वारा नम बनी रहती है, साथ ही इसे हिलने-डुलने में मदद करने के लिए इसमें बहुत सारी तंत्रिकाएं तथा रक्त वाहिकाएं मौजूद होती हैं। इन सब के अलावा, जीभ दातों की सफाई का एक प्र...

Heart structure and function। मानव हदय संरचना और कार्य ।

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मानव हृदय (human heart)  मानव हृदय की संरचना(heart structure) प्रस्तुत लेख में आपको heart structure and function की संपूर्ण जानकारी बहुत ही सरल तरीके से प्रदर्शित की गई है। कला विज्ञान या वाणिज्य किसी भी विषय का विद्यार्थी या सामान्य व्यक्ति भी heart structure and function का ज्ञान प्राप्त कर सकता है। मानव हृदय एक पेशीय अंग होता है,जो कार्डिएक पेशियों का बना होता है।यह हमारे शरीर में दोनों फेफड़ों के बीच कुछ बाईं और डायाफ्राम के उपर स्थित होता है।यह हमारी फसलियों द्वारा सुरक्षित होता है।यह थोड़ा बाईं और झुका हुआ होता है। Heart structure and function। कैसा होता है मानव हदय और कैसे कार्य करता है। मानव हृदय एक आवरण द्वारा घिरा होता है,जिसे परिकार्डियम कहते है यह एक त्रिस्तरीय झिल्ली होती है जिसके बीच में परिकार्डियल द्रव भरा होता है जो हृदय को आघात और रगड़ से बचाता है। मानव हृदय  का आकार मुठ्ठी जितना होता है।यह एक मिनट में सामान्यतया 72 बार धड़कता है,किन्तु इसकी परास 70से90 धड़कन भी होती है।यह एक मिनट में 70 मिलीलीटर रक्त पंप करता है।पुरुषों में इसका भार 290-340ग्राम,जबकि महिल...

मानव श्वशन तंत्र। human respiretory system

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मानव श्वसन तंत्र की संरचना।manav shvasn tantra ki sanrachna  वायुमण्डलीय आक्सीजन और कोशिकाओं में उत्पन्न co2के आदान प्रदान (विनिमय) की प्रक्रिया को श्वसन कहते है। श्वसन के दो भाग होते है- (i) चालन भाग (ii) श्वसन भाग/विनिमय चलन भाग → वाह्य नासारन्ध्र से अंतस्थ श्वसनिकाओं तक वायु का पहुँचना । श्वसन/विनिमय भाग →कूपिकाओं तथा उनकी नलिकाओं एवं रक्त के बीच आक्सीजन एवं co2 का आदान-प्रदान विनिमय भाग के अंतर्गत आता है।  श्वसन में निम्नलिखित चरण सम्मिलित है- श्वसन या फुफ्फुस सम्वहन जिससे वायुमण्डलीय वायु अन्दर खींची जाती है और co2से भरपूर कूपिका वायु को बाहर मुक्त किया जाता है। कूपिका झिल्ली के आर-पार गैसों (O2 एवं co2) का विसरण रूधिर (रक्त) द्वारा गैसों का परिवहन। रूधिर और ऊतकों के बीच O2 और co2 का विसरण। अपचयी क्रियाओं के लिए कोशिकाओं द्वारा आक्सीजन का उपयोग और उसके फलस्वरूप co2 का उत्पन्न होना। श्वसन तंत्र क्या है शरीर में स्थित वह तंत्र जो वायुमण्डल की आक्सीजन को श्वास (Inspiration) के रूप में ग्रहण कर शरीर की आन्तरिक कोशिकाओं तक पहुंचाने का कार्य करता है तथा शरीर की आन्तरिक कोश...