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Pet dard ke Karan। पेट दर्द हो सकता है, गंभीर बीमारी का संकेत

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पेट दर्द क्यों होता है? (Pet dard kyon hota hai)   पेट दर्द एक आम समस्या है, पेट दर्द का कारण अनियमित जीवनशैली,खराब खान-पान,लंबी सिटिंग, शारीरिक निष्क्रियता आदि हो सकते हैं।लेकिन जब पेट दर्द(pet dard) लंबे समय तक बना रहे तो यह कई प्रकार की बीमारियों का संकेत हो सकता है। Pet dard ke karan पेट दर्द के साथ ही यदि बुखार,उल्टी,अचानक वजन का कम होना जैसी समस्याएं भी हो तो यह  अपेंडिसाइटिस,अल्सर,पथरी और आईबीएस की समस्या भी हो सकती है।दरअसल पेट के पास होने वाला दर्द पास के किसी अंग का दर्द भी हो सकता है। पेट में होने वाले दर्द और उसके स्थान को यदि गौर से निरीक्षण किया जाए तो बीमारी को समझा जा सकता है।पेट में अलग-अलग स्थानों पर और अलग-अलग प्रकार से होने वाला दर्द बीमारी के बारे में स्पष्ट संकेत देता है।आप भी इन संकेतों को जानकर बीमारी को पहचान सकते हैं।  नाभि के ऊपर पेट दर्द के कारण (pet dard ke karan )   पेट में नाभि के ऊपर की तरफ हल्की जलन के साथ पेट दर्द पेप्टिक अल्सर के प्रमुख पहचान है।पेट में सूजन,डकार,भूख का घटना, वजन का कम होना इसके प्रमुख लक्षण हैं। पेप्टिक अल्सर प...

Low bp symptoms in hindi: लो बीपी के लक्षण

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 Symptoms of low bp in hindi: लो बीपी के लक्षण  Low bp symptoms in hindi Low bp in hindi: मानव जाति में प्रत्येक मनुष्य की एक निश्चित निश्चित बीपी रेंज होती है,जो की 120-140mmhg सिस्टॉलिक व 80-90mmhg  डायस्टोलिक होती है। यदि किसी व्यक्ति का बीपी नियमित रूप से इससे कम 90 mmhg सिस्टोलिक और 60mmhg  डायस्टोलिक रहता है तो वे निम्न रक्तचाप या लो ब्लड प्रेशर (low bp)की श्रेणी(range)में आता है।

हड्डियों की कमजोरी का इलाज, बुढ़ापे में

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  वृद्धा अवस्था में हड्डियों की देखभाल Cure of bones in old age: वृद्धावस्था में हड्डियों की कमजोरी एक आम समस्या होती है। इस समस्या की वजह बुजुर्गों में सामान्यतः ओस्टियोपेनिया, ओस्टियोपोरोसिस आर्थराइटिस इत्यादि होती है। वृद्धा अवस्था में सही जीवन शैली ना होने और विटामिन डी की कमी से धीरे धीरे हड्डियां कमजोर होने लगती है।

Breast cancer:महिला,पुरुष में स्तन कैंसर के कारण व लक्षण

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  महिला ही नहीं पुरुषों में भी होता है स्तन कैंसर  महिलाओं में आमतौर पर प्रजनन तंत्र से संबंधित कैंसर पाया जाता है। प्रजनन तंत्र संबंधित कैंसर में मुख्यतः गर्भाशय ग्रीवा, अंडाशय ,यूट्रस का कैंसर तथा ब्रेस्ट कैंसर होता है। महिलाओं को कैंसर के लक्षणों को लेकर सदैव सतर्क और सजग रहने की आवश्यकता है।इसके लिए समय-समय पर स्क्रीनिंग करवाते रहें । कैंसर से लगभग एक करोड़ लोगों की मृत्यु हर साल विश्व में होती है ।दुनिया भर में कैंसर के करीब दो  करोड़ रोगी हर साल सामने आ रहे हैं। भारत में भी प्रतिवर्ष लगभग 8 लाख लोगों की मृत्यु कैंसर के कारण हो रही है। महिला में स्तन कैंसर टिश्यू वैसे तो स्तन कैंसर आमतौर पर महिलाओं में पाया जाता है। किंतु पुरुषों को भी ब्रेस्ट कैंसर की आशंका रहती है। स्तन कैंसर केवल महिलाओं में ही बल्कि पुरुषों में भी हो सकता है। तंबाकू गुटखा अनियमित जीवन शैली आदि से पुरुषों में भी इसके मामले बढ़ रहे हैं। पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer in men) महिला वह पुरुष दोनों में ब्रेस्ट टिशु पाए जाते हैं जिनमें कैंसर विकसित होता है। करीब 400 पुरुषों में से 1 को इस प्र...

एक मुट्ठी ड्राई फ्रूट्स नियमित खाने से मिलता है, पर्किंसंस में आराम

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 अधिक उम्र का रोग है पार्किंसंस (old age disease Parkinson's) वैसे तो पार्किंसन बीमारी बुजुर्गों में अधिक होती है, लेकिन जेनेटिक व कई कारणों से यह कम उम्र में भी हो सकती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में इसके 50 फीसदी मामले ज्यादा आते हैं। एक मुट्ठी ड्राई फ्रूट्स नियमित खाने से मिलता है, पर्किंसंस में आराम पार्किंसंस के शुरुआती लक्षण(early signs of Parkinson's) ब्रेन में मौजूद डोपामाइन (हैप्पीनेस के लिए जिम्मेदार) हार्मोन में कमी के कारण शरीर की ज्यादातर एक्टिविटीज धीमी पड़ने लगती है। शारीरिक व मानसिक गतिविधियों में धीमापन आने लगता है। शुरुआत शरीर के एक हिस्से से होती है और इसके अगले छह सात माह में यह दूसरे हिस्से में भी होने लगती है। पार्किंसंस की पहचान के लक्षण(identifying symptoms of Parkinson's) पार्किंसन रोग की पहचान के लक्षणों में हाथ, पैर, बांह, जबड़े व सिर में कंपन, अंगों में कठोरता,संतुलन बिगड़ना, कब्ज,चबाने,निगलने,बोलने,चलने,फिरने व सोने में कठिनाई,गंध स्वाद न आना, डिप्रेशन,चेहरे के हाव-भाव गायब होना, नींद,यूरीन व त्वचा संबंधी समस्याएं आदि पार्किंसन के लक्षण है...

वजन घटाना भी है, लिवर समस्या का समाधान

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  यकृत(liver) शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग होता है। यह शरीर के सभी अंगों में सबसे बड़ा अंग होता है। लीवर के फंक्शन में यदि कोई खराबी आती है, तो शरीर में कई प्रकार के ज्ञात और अज्ञात विकार उत्पन्न हो जाते हैं। पुरुषों में लिवर(liver) का वजन 1.8 किलोग्राम होता है।वहीं महिलाओं में लिवर(liver) का वजन 1.3 किलोग्राम तक होता है। यह शरीर का एकमात्र सॉलिड(solid organ) अंग होता है। हमारे लीवर के द्वारा शरीर के 500 से अधिक महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित किया जाता है। इन सभी कार्यों में सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है, ब्रेन को ग्लूकोस सप्लाई करना। वजन घटाना भी है, लिवर समस्या का समाधान लीवर पेट में दाएं और होता है इसका वजन शरीर का लगभग 2 फ़ीसदी या औसतन 15 सौ ग्राम तक होता है। लीवर की साइज 14 से 16 सेंटीमीटर तक होती है, लेकिन चर्बी के कारण इसका आकार बढ़ भी सकता है। इसे फैटी लीवर कहते है।फैट को नियंत्रित रखें।अगर बी एम आई 30 से अधिक है, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित नहीं है,तो भी लीवर पर फैट जमा हो जाता है। लीवर की समस्या का कारण(liver ki samasya ke karan) लीवर(liver) रोगों का सबसे...

व्यायाम से हो सकती है स्पोर्ट्स इंजरी, ऐसे करें बचाव

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  sports injury: स्पोर्ट्स इंजरी का अर्थ खेल या व्यायाम के दौरान लगने वाली चोट से है। इस दौरान शरीर के किसी भी भाग में चोट लग सकती है, लेकिन स्पोर्ट्स इंजरी ( sports injury)का प्रयोग केवल उन्हीं चोटों के लिए किया जाता है, जिनमें मस्क्यूलोस्केलेटल (musculoskeletal) सिस्टम प्रभावित होता है।  व्यायाम से हो सकती है स्पोर्ट्स इंजरी, ऐसे करें बचाव  स्पोर्ट इंजरी (sports injury) में  अधिकतर उन चोटों को शामिल किया जाता है,जो मसल्स (muscles) या जॉइंट्स (joints)में होती है। स्पोर्ट्स इंजरी के प्रकार(types of muscles injury): मोच( Sprain) हमारे शरीर में हड्डियों को आपस में जोड़ने के लिए कुछ टिश्यू ग्रुप होते हैं, जिन्हें लिगामेंट (ligaments) कहा जाता है। स्पोर्ट्स या व्यायाम के समय इन लिगामेंट्स ( ligaments ) के खिसक जाने से मोच आ सकती है। खिंचाव (stretch) शरीर के अंदर टेंडनस (tendons) टिश्यू के मोटे, रेशेदार तारों से हैं, जो हड्डियों और मांसपेशियों को आपस में जोड़ते हैं। इनमें खिंचाव ही स्ट्रेन है। कुछ लोग स्ट्रेन को मौच(sprain) समझ लेते हैं लेकिन दोनों अलग-अलग है। म...

क्या कैंसर की दवा मिल गई है,जानें पूरा सच

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 कैंसर के इलाज के लिए दवा के उपयोग का दावा कितना सही और कितना गलत Cancer treatment drug :कैंसर एक लाइलाज और भयावह बीमारी है। विभिन्न कारणों से विभिन्न प्रकार का कैंसर मनुष्य के शरीर में जन्म लेता है। जिसके लिए कीमोथेरेपी , रेडियोथेरेपी और सर्जरी का सहारा लेकर इलाज किया जाता है। कैंसर के इलाज के लिए जो थेरेपी उपयोग में ली जाती है,वह अत्यंत कष्टदायक होती है,तथा इलाज के दौरान मरीज को भयंकर कष्ट से गुजरना पड़ता है। क्या कैंसर की दवा मिल गई है,जानें पूरा सच लंबे समय से कैंसर की बीमारी को लाइलाज बीमारी माना जा रहा है,लेकिन शायद अब ऐसी उम्मीद है कि वैज्ञानिकों को कैंसर की बीमारी का इलाज मिल गया है। रेक्टल कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए वैज्ञानिकों ने एक ऐसा दवा खोज निकाली है, जिसका 6 माह सेवन करने से कैंसर 100 फीसदी ठीक हो जाता है।अमेरिका के मैनहैटन एमएसके कैंसर सेंटर में डॉस्टरलीमैक नामक दवा से कैंसर रोगी को पूरी तरह से स्वस्थ होने का दावा किया गया है। इसके बाद से उम्मीद जगी है कि बिना सर्जरी और कीमोथेरेपी के बिना केवल ओरल मेडिसिन से कैंसर का 100 फ़ीसदी इलाज संभव हो सकता है। ...

महिलाओं में एनीमिया,आयरन ही नहीं प्रोटीन की कमी से भी होता है

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  महिलाओं में एनीमिया का कारण प्रोटीन की कमी(anemia caused by protein deficiency in a woman) एनीमिया(anemia) का सबसे बड़ा कारण शरीर में आयरन की कमी होना है। जब शरीर में रेड ब्लड सेल्स धीरे धीरे खत्म होने लगते है और बॉडी को जरूरत के अनुसार डाइट नहीं मिलती तो,इससे खून की कमी होने लगती है। इसके साथ ज्यादातर ये परेशानी किशोरावस्था और महिलाओं में पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग से भी हो जाती है। बता दें कि शरीर में एनीमिया की कमी से दूसरी अन्य बीमारी होने का खतरा भी बढ़ जाता है। गर्भवती महिलाओं को एनीमिया होने की की ज्यादा संभावना वाले केस सामने आते हैं। इसलिए गर्भवती महिलाओं के लिए हेल्दी डाइट(healthy diet) ध्यान देना चाहिए । महिलाओं में एनीमिया,आयरन ही नहीं प्रोटीन की कमी से भी होता है हालांकि आयरन की कमी एनीमिया का प्रमुख कारण होता है,किंतु प्रोटीन की कमी(protein deficiency) भी इसका एक अतिरिक्त कारण है। प्रोटीन(protein) हमारे न्यूट्रिशन का महत्वपूर्ण घटक है। मांसपेशियों, अंगों, त्वचा, एंजाइम सभी के लिए जरूरी है। अगर पोषण की बात करें तो महिलाओं में प्रोटीन की कमी (prote...

dehydration: गर्मियों में इन उपायों से बच्चे रहेंगे बीमारियों से दूर

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 dehydration: गर्मी में बच्चों को होने वाली आम स्वास्थ्य समस्या जब शरीर में आवश्‍यकता से कम मात्रा में फ्लूइड रह जाए,तो इस स्थिति को डिहाइड्रेशन (Dehydration) कहते हैं। डिहाइड्रेशन यानि पानी की कमी किसी को भी हो सकती है और इससे बच्‍चे भी प्रभावित हो सकते हैं। डिहाइड्रेशन(dehydration): गर्मियों में इन उपायों से बच्चे रहेंगे बीमारियों से दूर गर्मी में बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। उनमें डिहाइड्रेशन के दिक्कत अधिक होती है, क्योंकि बच्चों के शरीर से जितना तरल निकलता है, उससे कम ही पानी पीते हैं। इससे उनके पाचन तंत्र पर असर पड़ता है। अपच होने से डायरिया एसिडिटी व गैस की समस्या उत्पन्न हो सकती है। दस्‍त, उल्‍टी की बीमारी और गर्म मौसम की वजह से शरीर में तरल पदार्थों की कमी बढ़ सकती है और शरीर डिहाइड्रेट हो सकता है। डिहाइड्रेशन के लक्षण(symptoms of dehydration) बच्‍चों को पेट में इंफेक्‍शन होने पर उल्‍टी, दस्‍त लग जाते हैं और उनका कुछ खाने या पीने का मन नहीं करता है। ऐसे में बच्‍चों में पानी की कमी हो सकती है।बच्‍चों के पानी की कमी के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं : ० बच्चे...

हाई ब्लड प्रेशर के सात बड़े नुकसान, ऐसे बचें

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हाई ब्लड प्रेशर के नुकसान  अक्सर लोग हाई ब्लड प्रेशर की अनदेखी करते हैं। कई बार खास अंगों को नुकसान पहुंचता है जानते हैं इनके बारे में - हाई ब्लड प्रेशर के सात बड़े नुकसान, ऐसे बचें 1. हार्ट अटैक: उच्च रक्तचाप रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त दबाव डालता है ,जो समय के साथ रक्त वाहिकाओं के संकुचित कर इनको नुकसान पहुंचाता है। इससे हृदय में रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है और दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है। कोरोनरी धमनियों में वसा, कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों के निर्माण के कारण क्षति और बढ़ जाती है। 2. अचानक धमनी फट सकती है (एन्यूरिज्म) लंबे समय तक उच्च रक्तचाप की अनदेखी करने पर एक मेडिकल कंडीशन उत्पन्न हो सकती है जिससे एन्यूरिज्म कहते हैं।  एन्यूरिज्म (Aneurysm) के दौरान कोई ब्लड वेसल एक गुब्बारे की तरह फूल जाती है और वह ऐसी लगती है जैसे किसी पेड़ पर कोई बेर लटक रही हो। यह लीक हो सकती है या फट भी सकती है, जिससे आपके किसी भी अंग में ब्लीडिंग होनी शुरू हो जाती है। मुख्य रूप से ऐसा ब्रेन और पतले टिश्यू के बीच वाले स्पेस में ही होता है। यह एक प्रकार का स्ट्रोक होता है और ऐसी...

मंकीपॉक्स में चेचक जैसे लक्षण,डरने जैसी बात नहीं

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 मंकीपॉक्स क्या है? मंकीपॉक्स चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। इससे संक्रमण का पहला मामला 1970 में सामने आया था। यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के वर्षावन क्षेत्रों में होता है। मंकीपॉक्स में चेचक जैसे लक्षण,डरने जैसी बात नहीं इस रोग को चेचक से जुड़ा हुआ ही माना जा रहा है। हालांकि दक्षिण अफ्रीका में यह बीमारी पहले से ही आम है, लेकिन इसका दूसरे देशों में प्रसार चिंता की स्थिति पैदा कर रहा है। मंकीपॉक्स एक ऐसी बीमारी है जो दशकों से अफ्रीकी लोगों में आम है,लेकिन अब यह अन्य देशों में भी फेल रहा है। अमेरिका कनाडा सहित अब तक 11 देशों में इसके लगभग 80 मामले पाए जा चुके हैं। हालांकि भारत में अभी तक ऐसा कोई के सामने नहीं आया है आता है, इससे डरने की जरूरत नहीं है। यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण है अतः स्वच्छता और इम्युनिटी बढ़ाने पर ध्यान दें।  इसे लेकर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। इसके प्रसार का अनुपात लगभग 3 से 6% रहा है, लेकिन यह 10% तक हो सकता है। वर्तमान प्रसार के दौरान मौत का कोई मामला सामने नहीं...

फूड प्वाइजनिंग(food poisoning)से बचें ,रखें ये सावधानियां

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फूड पॉइजनिंग(food poisoning) एक संक्रमण है, जो बैक्टीरिया, वायरस, फंगस से हो सकता है।जब बैक्टीरिया या फंगस किसी खाने को संक्रमित करते हैं और उसे कोई व्यक्ति खाता है, तो यह बैक्टीरिया पेट के अच्छे बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं। इससे पाचन तंत्र में विकार उत्पन्न हो जाता है और पाचन क्रिया बिगड़ जाती है। यह दिक्कत गंदे पानी या एक्सपायरी डिब्बाबंद जूस व फूड खाने पीने से भी हो सकती है। इनका विशेष ध्यान रखें। फूड प्वाइजनिंग(food poisoning)से बचें ,रखें ये सावधानियां जब गर्मियों में अथवा बरसात के मौसम में तापमान 32 से 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है,तो यह मौसम बैक्टीरिया और फंगस के लिए ज्यादा अच्छा होता है। कई अध्ययनों से स्पष्ट हो चुका है कि 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर बैक्टीरिया और फंगस तेजी से ग्रो करते हैं। इसलिए गर्मी के दिनों में खाना जल्दी खराब हो जाता है। डॉक्टर भी ताजा बना भोजन खाने की सलाह देते हैं। फूड पॉइजनिंग के कारण(causes of food poisoning) जेसा कि हम जानते हैं गर्मियों के मौसम में बैक्टीरिया,फंगस और वायरस तेजी से बढ़ना शुरू हो जाते हैं। फूड प्वाइजनिंग (f...

ऑटिज्म का लक्षण है, बच्चे का अकेलापन, पेरेंट्स रहे सावधान

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  ऑटिज्म एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है। इसमें बच्चा आमतौर पर किसी चीज में दिलचस्पी नहीं दिखाता है। लड़कियों के मुकाबले लड़कों में इस डिसऑर्डर के मामले अधिक देखे गए हैं। जागरूकता और जानकारी के अभाव में कई बार बच्चे के इस डिसऑर्डर के बारे में समय पर पता नहीं चल पाता है। कुछ ऐसे लक्षण है ,जिससे आसानी से यह समझा जा सकता है कि बच्चा ऑटिज्म से ग्रसित है या नहीं। ऑटिज्म के लक्षण  ऑटिज्म के लक्षण ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में सामान्यतया कुछ इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं। किसी चीज में रुचि ना दिखाना, जीवंत वस्तुओं के बजाय  निर्जीव वस्तुओं जैसे खिलौने किताब इत्यादि से ज्यादा जुड़ाव रखना, खुद को एक्सप्रेस करने में असहज होना, किसी भी चीज को बार-बार दोहराना, आई कांटेक्ट ना करना, भावनाएं ना समझ पाना, खुशी परेशानी ना बताना, बच्चे को अकेलापन अधिक पसंद होना आदि। ऑटिज्म के लक्षण पेरेंट्स को ध्यान देने योग्य बातें इस उम्र से ही रखे बच्चे पर नजर 2 वर्ष की उम्र से ही बच्चे के इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं, लेकिन कई बार पेरेंट्स ऐसे लक्षणों पर ध्यान नहीं देते। इसलिए जब भी आपको लगता ह...

"एंडोमेट्रियोसिस"महिलाओं में गर्भधारण की समस्या का कारण

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  एंडोमेट्रियोसिस ऐसी बीमारी है जिसमें गर्भाशय जैसी लाइनिंग गर्भाशय के बाहर भी बनने लगती है। जब ओवेरी, बाउल, पेल्विस में ऐसी लाइनिंग बनती है ,तो गर्भधारण में दिक्कत और महावारी में असहनीय दर्द होता है। करीब 40% गर्भवती महिलाओं के लिए हेल्दी डाइट चार्ट फॉलो करने के बाद भी एडोमेट्रियोसिस से गर्भधारण में दिक्कत आती है। दुनिया भर में करीब 9 करोड़ से अधिक महिलाएं इससे प्रभावित हैं। इस बीमारी की पहचान होने में दिक्कत होती है, क्योंकि कई बार अल्ट्रासाउंड से भी यह बीमारी पकड़ में नहीं आती है। "एंडोमेट्रियोसिस"महिलाओं में गर्भधारण की समस्या का कारण एंडोमेट्रियोसिस के संभावित लक्षण हर महिला में इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। उनको पेल्विक वाले हिस्से में दर्द, मासिक धर्म से पहले और मासिक धर्म के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द, महावारी के 1 या 2 हफ्ते के आसपास पेट में ऐठन, महावारी के बीच में ब्लीडिंग या पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग होना, इनफर्टिलिटी , यौन संबंध के दौरान दर्द, शौच जाने में असहज होना आदि लक्षण हो सकते हैं। प्रेगनेंसी में दिक्कत इसलिए होती है, क्योंकि कंसीव करन...

सुनने में तकलीफ को नजरअंदाज ना करें, मशीन का उपयोग अवश्य करें

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 कानों की समस्या का एक मात्र समाधान है मशीन  वाक और श्रवण शक्ति का मानव के विकास में बड़ा योगदान है। सहज संवाद का आधार है ये। इसी माध्यम से हम अपने विचार और भाव प्रकट कर पाते हैं। इनका बाधित होना स्वाभाविक जीवन जीने में कठिनाई उत्पन्न करता है। सुनने में तकलीफ को नजरअंदाज ना करें, मशीन का उपयोग अवश्य करें जो श्रवण शक्ति खोने लगते हैं, वे बोलने में भी लड़खड़ा ने लगते हैं ।सुनने की शक्ति में कमी आने से सामान्य जीवन कठिनाइयों से घिर जाता है। श्रवण शक्ति में बाधा उत्पन्न होने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। साफ सुनाई ना देना, कानों में अजीब सी आवाज आना, संकेत है कि कानों में समस्या शुरू हो गई है। समय रहते ध्यान दिया जाए तो समाधान मुमकिन है। यदि कानों में किसी प्रकार की समस्या दिखाई दे तो यह उपाय अपनाएं - लक्षणों पर गौर करें यह तकलीफ दिखाई नहीं देती, इसलिए इसकी पीड़ा सिर्फ इस से गुजरने वाला व्यक्ति ही समझ सकता है। सुनने की तकलीफ के कई लक्षण है -जैसे दूसरों की बातें ध्यान लगाकर सुनना, टीवी की आवाज तेज रखना, लोगों को दोहराने के लिए कहना आदि। जब भीड़ में हो कर भी खुद को उस भीड...

शीघ्रपतन(premature ejaculation) की समस्या ,करें ये आसान आयुर्वेदिक उपचार ,

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  शीघ्रपतन की समस्या क्या है(what is premature ejaculation) Ayurvedic medicine for premature ejaculation कई लोग शीघ्रपतन या शीघ्र स्खलन (Premature ejaculation) की समस्या से पीड़ित हो सकते हैं। आइये शीघ्रपतन के बारे में विस्तृत रूप से जानते हैं इस समस्या के बारे में   की वास्तव में शीघ्र स्खलन की समस्या क्या है?  जब भी कोई पुरुष सेक्स करता है और वह शुरुआत के दो से तीन मिनट के अंदर या उससे भी पहले स्खलित हो जाता है या उसका वीर्य निकल जाता है तो इस समस्या को शीघ्र स्खलन रोग कहते हैं। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के सेक्स की अवधि काफी छोटी होती है। हालांकि सेक्स करने में कुल कितना समय लगना चाहिए और कितनी देर बाद वीर्य स्खलित होना चाहिए इसके लिए कोई निर्धारित मापदंड नहीं हैं। आमतौर पर एक स्वस्थ पुरुष के संभोग की अवधि 2 से 5 मिनट के बीच की मानी जाती है जबकि शीघ्रपतन से पीड़ित कुछ मरीज तो एक मिनट के अंदर ही स्खलित हो जाते हैं।  शीघ्रपतन की आयुर्वेदिक औषधियां (ayurvedic medicine for premature ejaculation) यदि शीघ्रपतन की एलोपैथिक औषधियों की बात करें तो बाजार में...

back pain reason।पीठ दर्द के कारण

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 व्यस्त दिनचर्या काम की अधिकता और दोषपूर्ण जीवनशैली के कारण पीठ दर्द एक आम समस्या हो गई है।किंतु बैक पेन रीज़न (back pain reason) की सटीक जानकारी इस समस्या से निजात दिलाने में अहम भूमिका निभा सकती है। Back pain reason पीठ दर्द(back pain)की समस्या सामान्य भी हो सकती है और गंभीर भी।यदि पीठ दर्द के कारण(back pain reason)को समय रहते पहचान लिया जाए तो बहुत बड़ी समस्या से बचा जा सकता है। पीठ दर्द (backpain)की समस्या अक्सर पीठ(back) की मांसपेशियों अथवा रीढ़ की हड्डी(spine) में उत्पन्न विकार के कारण सामने आती है। Back pain reason  पीठ दर्द के सामान्य कारण (general Reason of back pain) पीठ दर्द का सामान्य कारण पीठ की मांसपेशियों में सूजन अथवा खिंचाव है। पीठ की मांसपेशियों में यह खिंचाव अथवा सूजन निम्न कारणों की वजह से हो सकता है। 1.हड्डियों का कमजोर होना- हड्डियों का कमजोर होना कमर दर्द या  पीठ दर्द(back pain) का एक सामान्य कारण है ।हड्डिया सामान्यतः कैल्शियम की कमी के कारण कमजोर होती है ।अक्सर हम अपने खान-पान पर ध्यान नहीं देते और शरीर को आवश्यक मात्रा में मिनरल्स नहीं मिल पाते...