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त्रिफला चूर्ण के लाभ और हानि

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 त्रिफला: लाभ और हानि त्रिफला आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि है जो आंवला, हरड़ और बहेड़ा नामक तीन जड़ी-बूटियों का मिश्रण है। यह पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उपयोगी माना जाता है। त्रिफला चूर्ण के लाभ और हानि त्रिफला के लाभ  * पाचन तंत्र के लिए लाभदायक: त्रिफला कब्ज, अपच, और पेट की सूजन जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।  * इम्यूनिटी बढ़ाता है: त्रिफला में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। यह संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।  * त्वचा के लिए अच्छा: त्रिफला त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने में मदद करता है। यह मुहांसों, दाग-धब्बों और अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है।  * आंखों के लिए लाभदायक: त्रिफला आंखों की रोशनी बढ़ाने और मोतियाबिंद जैसी समस्याओं को रोकने में मदद कर सकता है।  * वजन घटाने में मदद करता है: त्रिफला चयापचय को बढ़ाकर वजन घटाने में मदद कर सकता है। त्रिफला के हानि हालांकि त्रिफला के क...

पेट की गैस को जड़ से खत्म करने के उपाय

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 पेट की गैस को जड़ से खत्म करने के उपायपेट की गैस को जड़ से खत्म करने के उपाय पेट की गैस एक आम समस्या है, जिससे कई लोग परेशान रहते हैं। इसे कम करने और जड़ से खत्म करने के लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं।  पेट की गैस को जड़ से खत्म करने के उपाय खानपान में बदलाव  * फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का धीरे-धीरे सेवन: फाइबर पेट की सेहत के लिए जरूरी है, लेकिन बहुत ज्यादा फाइबर एक बार में लेने से गैस बन सकती है। इसलिए फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को धीरे-धीरे अपने आहार में शामिल करें।  * गैस पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों से परहेज: बीन्स, ब्रोकली, गोभी, प्याज आदि खाद्य पदार्थों से गैस बन सकती है। इसलिए इन्हें कम मात्रा में या बिल्कुल न खाएं।  * कार्बोनेटेड पेय और शराब से परहेज: इनमें कार्बन डाइऑक्साइड होता है, जिससे पेट में गैस बन सकती है।  * छोटे-छोटे हिस्से में खाएं: एक बार में बहुत ज्यादा खाने से पेट फूल सकता है और गैस बन सकती है।  * खाना खाते समय पानी न पिएं: खाने के साथ पानी पीने से पेट में गैस बन सकती है। जीवनशैली में बदलाव  * ध्यान और योग: तनाव गैस की समस्या ...

फैटी लीवर: समझें और बचाव करें

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 फैटी लीवर: समझें और बचाव करें फैटी लीवर एक ऐसी स्थिति है जिसमें लीवर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। यह कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि मोटापा , मधुमेह , उच्च कोलेस्ट्रॉल और अत्यधिक शराब पीना। फैटी लीवर के प्रकार मुख्य रूप से दो प्रकार के फैटी लीवर होते हैं:  * अल्कोहोलिक फैटी लीवर: यह अधिक मात्रा में शराब पीने के कारण होता है।  * नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लीवर (NAFLD): यह उन लोगों में होता है जो अधिक शराब नहीं पीते हैं। NAFLD आमतौर पर मोटापे, टाइप 2 डायबिटीज और उच्च कोलेस्ट्रॉल के साथ जुड़ा होता है। फैटी लीवर: समझें और बचाव करें फैटी लीवर के लक्षण: अक्सर फैटी लीवर के शुरुआती चरणों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। जैसे-जैसे यह स्थिति बिगड़ती है, निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं:  * थकान  * भूख न लगना  * वजन कम होना  * पेट में दर्द  * पीली आंखें या त्वचा * अक्सर कोई लक्षण नहीं होते हैं। फैटी लीवर के कारण फैटी लीवर के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:  * मोटापा:  अधिक वजन होने से लीवर में वसा जमा होने का खतरा बढ़ जाता है।  * टाइप 2 ड...

Nahane ke niyam। बिना सोचे समझे नहाना, पड़ सकता है भारी

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Nahane ke niyam। बिना सोचे समझे नहाना, पड़ सकता है भारी Nahane ke niyam हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करने के लिए तन और मन से पवित्र होना जरूरी माना गया है और इसके लिए प्रतिदिन नहाने का नियम बनाया गया है लेकिन क्या आप जानते हैं कि नहाने के भी कुछ नियम कायदे होते है। कब नहाना और कब नहीं ? क्या निर्वस्त्र होकर स्नान करना सनातन संस्कृति के अनुसार शुभ है या अशुभ? किन कार्यों को करते ही तुरंत स्नान नहीं करना चाहिए?  इन सभी सवालों के जवाब और इनके पीछे के विज्ञान  को विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं।  अगर हम इन नियमों की अनदेखी तो हमारी सेहत पर इसका बुरा असर पड़ता है। हम सर्दी- खांसी या सिर दर्द का शिकार हो सकते हैं। यदि नियमित रूप से ऐसा किया तो पैरालिसिस के मरीज भी बन सकते हैं।  आयुर्वेद के अनुसार नहाने के नियम आयुर्वेद में स्नान के बारे में स्पष्ट दिशानिर्देश दिये गए है जिनका पालन हमें करना चाहिए।  नहाने के नियम में पहला नियम है, शुरुआत अपने हाथ और पैरों को धोने से करें। अगर आप ठंडे पानी से नहा रहे हैं तो आपको शुरुआत सिर से पांव से करनी चाहिए। और...

Eye Flu Treatment in hindi - आई फ्लू का इलाज

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आई फ्लू क्या है (eye flu kya hai)  Eye flu treatment in hindi आई फ्लू (eye flu) जिसे हम आँख आने के नाम से जानते है एक आम संक्रमण है,जिसका सामना हम सभी ने कभी न कभी किया होगा।  इस संक्रमण में आंखों में जलन होती है।ऑय फ्लू (eye flu treatment) का इलाज कैसे करना चाहिए,ये कम ही लोग जानते और समझते हैं। आँखों के संक्रमण के कई कारण हो सकते हैं, पर इसका मुख्य कारण हैं,छोटे जीवाणु और वायरस से हुआ संक्रमण।  आमतौर पर यह एक एलर्जिक रिएक्शन की वजह से होता है। लेकिन कई मामलों में बैक्टीरिया का संक्रमण भी इसके लिए जिम्मेदार होता है। कभी कभी ऐसे संक्रमण आँखों में कुछ चले जाने की वजह से होते हैं जैसे धुल या गन्दगी।  जो लोग खराब लेंस पहनते हैं उनके भी इस संक्रमण के शिकार होने की संभावना काफी ज़्यादा रहती है। इस संक्रमण की शुरुआत एक आंख से ही होती है, लेकिन जल्द ही दूसरी आंख भी इसकी चपेट में आ जाती है। आँखों का संक्रमण या ऑय फ्लू साधारणतः मौसम में परिवर्तन के साथ देखा जाता है। यह ठंड मौसम या बरसात के मौसम में ज्यादातर होता है | यह एक संक्रामक बीमारी है, जो किसी भी व्यक्ति को हो सकता है।...

Natural ways for black hair without dye । सफेद बाल काले करने का नेचुरल तरीका

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नैचरल तरीके से बाल काले कैसे करें?(how to make hair black with natural ways) उम्र बढ़ने के साथ बालों का सफ़ेद होना तो आम बात है, लेकिन प्रश्न यह है कि सफेद होते बालों को काला कैसे किया जाये।क्या बालों को नैचुरल तरीके से बिना डाय के काला किया जा सकता है। आजकल की जीवनशैली में कम उम्र में ही लोगों के बाल सफ़ेद होने लगे है। बालों के स्वास्थ्य के लिए केरोटिन मुख्य प्रोटीन है,जो बालों का निर्माण करता है, उन्हें स्वस्थ बनाता है। जब केराटिन में मेलेनिन की कमी हो जाती है तो बाल सफेद होने लगते हैं। बालों पर उपयोग किये जाने वाले केमिकल्स ने बालों के स्वास्थ्य को बिगाड़ दिया है तो आप अपने बालों को नेचुरल तरीके से काला कैसे कर सकते है, आइये जानते हैं । Natural ways for black hair without dye 1.  बालों  को काला करने के लिए अंडा लगाएं बालों को नैचुरल तरीके से काला करने के लिए अंडा बहुत फायदेमंद होता है।अंडा  प्रोटीन से भरपूर होता है यह बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आप अंडे का हेयर मास्क बनाकर बालों में प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए बस आपको सरसों, नारियल या जैतून के तेल में अं...

Pet dard ke Karan। पेट दर्द हो सकता है, गंभीर बीमारी का संकेत

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पेट दर्द क्यों होता है? (Pet dard kyon hota hai)   पेट दर्द एक आम समस्या है, पेट दर्द का कारण अनियमित जीवनशैली,खराब खान-पान,लंबी सिटिंग, शारीरिक निष्क्रियता आदि हो सकते हैं।लेकिन जब पेट दर्द(pet dard) लंबे समय तक बना रहे तो यह कई प्रकार की बीमारियों का संकेत हो सकता है। Pet dard ke karan पेट दर्द के साथ ही यदि बुखार,उल्टी,अचानक वजन का कम होना जैसी समस्याएं भी हो तो यह  अपेंडिसाइटिस,अल्सर,पथरी और आईबीएस की समस्या भी हो सकती है।दरअसल पेट के पास होने वाला दर्द पास के किसी अंग का दर्द भी हो सकता है। पेट में होने वाले दर्द और उसके स्थान को यदि गौर से निरीक्षण किया जाए तो बीमारी को समझा जा सकता है।पेट में अलग-अलग स्थानों पर और अलग-अलग प्रकार से होने वाला दर्द बीमारी के बारे में स्पष्ट संकेत देता है।आप भी इन संकेतों को जानकर बीमारी को पहचान सकते हैं।  नाभि के ऊपर पेट दर्द के कारण (pet dard ke karan )   पेट में नाभि के ऊपर की तरफ हल्की जलन के साथ पेट दर्द पेप्टिक अल्सर के प्रमुख पहचान है।पेट में सूजन,डकार,भूख का घटना, वजन का कम होना इसके प्रमुख लक्षण हैं। पेप्टिक अल्सर प...