dehydration: गर्मियों में इन उपायों से बच्चे रहेंगे बीमारियों से दूर
dehydration: गर्मी में बच्चों को होने वाली आम स्वास्थ्य समस्या
जब शरीर में आवश्यकता से कम मात्रा में फ्लूइड रह जाए,तो इस स्थिति को डिहाइड्रेशन (Dehydration) कहते हैं। डिहाइड्रेशन यानि पानी की कमी किसी को भी हो सकती है और इससे बच्चे भी प्रभावित हो सकते हैं।
डिहाइड्रेशन(dehydration): गर्मियों में इन उपायों से बच्चे रहेंगे बीमारियों से दूर |
गर्मी में बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। उनमें डिहाइड्रेशन के दिक्कत अधिक होती है, क्योंकि बच्चों के शरीर से जितना तरल निकलता है, उससे कम ही पानी पीते हैं। इससे उनके पाचन तंत्र पर असर पड़ता है। अपच होने से डायरिया एसिडिटी व गैस की समस्या उत्पन्न हो सकती है। दस्त, उल्टी की बीमारी और गर्म मौसम की वजह से शरीर में तरल पदार्थों की कमी बढ़ सकती है और शरीर डिहाइड्रेट हो सकता है।
डिहाइड्रेशन के लक्षण(symptoms of dehydration)
बच्चों को पेट में इंफेक्शन होने पर उल्टी, दस्त लग जाते हैं और उनका कुछ खाने या पीने का मन नहीं करता है। ऐसे में बच्चों में पानी की कमी हो सकती है।बच्चों के पानी की कमी के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं :
० बच्चे की आंखों का अंदर धंसना।
० होठों और जीभ का सूखना।होंठों का फटना,मुंह में सूखापन।
० पेशाब का कम या पीला आना।तीन घंटे या इससे ज्यादा समय तक पेशाब न आना
० रोने पर आंसू न निकलना।
० थकान और काम न कर पाना,सुस्ती और नींद आना,रोना या चिड़चिड़ापन।
० तेज सांसें आना और दिल की धड़कन तेज होना।
० जब पानी की कमी होती है, शुरू में तो प्यास ज्यादा लगती है, लेकिन जब ज्यादा गर्मी बढ़ जाती है,तो प्यास लगना कम हो जाता है और बच्चा सुस्त पड़ जाता है।
जानते हैं कैसे बच्चों को हाइड्रेट रखें:
गर्मियों में बच्चों को इन उपायों द्वारा डिहाइड्रेशन से बचाया जा सकता है।
० जब भी बच्चा घर से बाहर निकले, पानी पिलाकर ही भेजें। साथ में पानी की बोतल भी जरूर दें।
० धूप में निकले तो सिर पर कपड़ा रखें,चेहरे को भी कवर करें।
० जब बच्चा स्कूल बस में जा रहा हो तो,उसे समझाएं कि खिड़की ना खोलें, क्योंकि गर्म हवा डिहाइड्रेशन बढ़ाती है।
० बच्चों को सुबह 10:00 से 4:00 बजे तक घर से बाहर ना निकलने दें।
० बच्चों को ठंडक वाले स्थान पर ही रखें।
० बच्चों को शिकंजी, नींबू या नारियल पानी दे। ० बच्चों को ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन जैसे कि ओआरएस दें। इसमें चीनीऔर नमक होता है। कई बार सादा पानी पर्याप्त नहीं होता है,इसलिए चीनी,नमक और पानी का घोल जरूरी होता है।
० रस वाले मौसमी फल सब्जियां आदि खिलाएं।
० केरी का पानी भी पिलाएं।
० जब तक कि बच्चे के पेशाब का रंग साफ नहीं आ जाता तब तक उसे धीरे-धीरे लिक्विड देते रहें। अगर बच्चे को उल्टी हो रही है तो एक बार में बहुत कम मात्रा में फ्लूइड दें। धीरे-धीरे इसकी मात्रा और आवृत्ति को बढ़ा दें।
डिहाइड्रेशन के लिए ऊपर दिए गए उपाय केवल उसी अवस्था में उपयोगी साबित होंगे, जबकि बच्चा सामान्य रूप से डिहाइड्रेट हुआ हो। यदि डिहाइड्रेशन बहुत ज्यादा हो गया हो। बच्चा मुंह से किसी प्रकार का आहार या लिक्विड लेने में असमर्थ हो। आहार अथवा लिक्विड लेते ही उल्टी कर रहा हो, तो फिर उसे डॉक्टर को दिखाना अत्यंत आवश्यक हो जाता है । डॉक्टर बच्चे में डिहाइड्रेशन के इलाज के लिए सीधे नसों के माध्यम से फ्लूइड बच्चे को दे सकता है।
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