अनुलोम विलोम प्राणायाम करें इस तरह वरना फायदे की जगह हो सकता है नुकसान

अनुलोम विलोम प्राणायाम एक परिचय

Anulom vilom pranayam ke fayde or nuksan। अनुलोम विलोम प्राणायाम करें इस तरह वरना फायदे की जगह हो सकता है नुकसान, अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे और नुकसान
Anulom vilom pranayam ke fayde or nuksan


अनुलोम का अर्थ होता है सीधा और विलोम का अर्थ है उल्टा। यहां पर सीधा का अर्थ है नासिका या नाक का दाहिना छिद्र और उल्टा का अर्थ है-नाक का बायां छिद्र। अर्थात अनुलोम-विलोम प्राणायाम में नाक के दाएं छिद्र से सांस खींचते हैं, तो नाक के बाएं छिद्र से सांस बाहर निकालते है। इसी तरह यदि नाक के बाएं छिद्र से सांस खींचते है, तो नाक के दाहिने छिद्र से सांस को बाहर निकालते है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम को  'नाड़ी शोधक प्राणायाम' भी कहते है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर की समस्त नाड़ियों का शोधन होता है यानी वे स्वच्छ व निरोग बनी रहती है। इस प्राणायाम के अभ्यासी को वृद्धावस्था में भी गठिया, जोड़ों का दर्द व सूजन आदि शिकायतें नहीं होतीं।

अनुलोम विलोम प्राणायाम का सही तरीका


1.सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। 
2.शुरुआत और अन्त  हमेशा नाक के बाएं छिद्र से ही करनी है।
3.नाक का दायां छिद्र बंद करें व बाये से लंबी सांस लें, फिर बाएं को बंद करके, दायां वाले से लंबी सांस छोडें।
4.अब दायां से लंबी सांस लें व बायें वाले से छोडें। यह प्रक्रिया 10 से 15 मिनट तक दुहराएं| 
5.सांस लेते समय अपना ध्यान दोनो आँखो के बीच में स्थित आज्ञा चक्र पर होना चाहिए। 
6. मन ही मन में सांस लेते समय ओउम-ओउम का जाप करते रहना चाहिए।  
बायीं नाड़ी को चन्द्र या इडा, नाडी, और दाई नाडी को सूर्य या पीन्गला नाडी कहा जाता है। चन्द्र नाडी से ठण्डी हवा अन्दर जाती है और सूर्य नाड़ी से गर्म  हवा शरीर के अन्दर जाती है। ठण्डी और गरम हवा के आवागमन से हमारे शरीर का तापमान संतुलित रहता है। इससे हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बड़ जाती है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे

अनुलोम विलोम प्राणायाम मुख्यतया सांसों के लयबद्धता से संबंधित ही जो शरीर के सभी अंगों को उचित व निर्बाध ऑक्सीजन वितरण कर उनकी क्रियाशीलता को ठीक करता है।इस कारण सभी अंगों से संबंधित समस्याओं मे फायदा पहुंचाता है।इसके निम्न फायदे है -
1.हमारे शरीर की  सूक्ष्म नाड़ीयां शुद्ध हो जाती है।
2.हार्ट की ब्लाॅकेज खुल जाते है।उच्च और निम्न रक्त चाप ठीक हो जायेंगे|
3.आर्थराईटिस, रह्यूमेटोइड आर्थराइटिस, कार्टीलेज घिसना जैसी बीमारियाँ ठीक हो जाती है।
4.टेढे़ लिगामेंट्स सीधे हो जायेंगे|वैरीकोस वेन्स ठीक हो जाती हैं।
5.कोलेस्ट्रोल , टाँक्सिन्स, आँक्सीडैन्ट्स जैसे विजातीय पदार्थ शरीर के बाहर निकल जाते हैं।
6.सायटीका पेंशेन्ट्स को फायदा होता है।
7.किडनी प्राकृतिक रूप से स्वच्छ होती है, डायलेसिस करने की जरुरत नहीं पड़ती|
8. कैन्सर तक को ठीक करने की क्षमता इस प्राणायाम में है।
9.सभी प्रकार की एलर्जी ठीक हो जाती है।
10.मन को एकाग्र करके याद्दाश्त बढ़ाने के लिये।
11. कफ को शांत करके सर्दी, खाँसी, नाक, गला की समस्याओं को  ठीक करता है।
12.ब्रेन ट्यूमर को पिघलकर ट्यूमर वाली कोशिकाओं को खत्म कर राहत देता है।
13.सभी प्रकार के चर्म रोग मिट जाती है।
14.मस्तिष्क के सम्बधित सभी व्याधिओं को मिटाने के लिये यह प्राणायाम उपयोगी ।
15.पार्किनसन्स, पैरालिसिस, लूलापन इत्यादि स्नायुओं से सम्बधित सभी व्याधिओं को मिटाने में सहायक होता है। 14.जिन लोगो को सायनस की व्याधि होती है,उनके लिए यह प्राणायाम रामबाण है ।
15.डायबीटीज़ के रोगी के शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए यह प्राणायाम अग्न्याशय को उत्तेजित कर इन्सुलिन लेवल को ठीक करता है।
16.टाँन्सिल्स की व्याधि मिट जाती है।

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