प्राणायाम और स्वास्थ्य।pranayam and health
नियमित प्राणायाम आपको बनाएगा तन और मन से मजबूत
प्राणायाम और स्वास्थ्य |
प्राणायाम एक परिचय
प्राणायाम योग के आठ अंगों में से एक है। अष्टांग योग में आठ प्रक्रियाएँ होती हैं- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा ध्यान, तथा समाधि। प्राणायाम = प्राण + आयाम । इसका शाब्दिक अर्थ है - 'प्राणअर्थात श्वसन या जीवनिशक्ति को लम्बा करना। प्राणायाम का अर्थ 'स्वास को नियंत्रित करना' या कम करना नहीं है। प्राण या श्वास का आयाम या विस्तार ही प्राणायाम कहलाता है। यह प्राण -शक्ति का प्रवाह कर व्यक्ति को जीवन शक्ति प्रदान करता है।
प्राणायाम प्राण अर्थात् साँस आयाम याने दो साँसो मे दूरी बढ़ाना, श्वास और नि:श्वास की गति को नियंत्रण कर रोकने व निकालने की क्रिया को कहा जाता है।
श्वास को धीमी गति से गहरी खींचकर रोकना व बाहर निकालना प्राणायाम के क्रम में आता है। श्वास खींचने के साथ भावना करें कि प्राण शक्ति, श्रेष्ठता श्वास के द्वारा अंदर खींची जा रही है, छोड़ते समय यह भावना करें कि हमारे दुर्गुण, दुष्प्रवृत्तियाँ, बुरे विचार प्रश्वास के साथ बाहर निकल रहे हैं। हम साँस लेते है तो सिर्फ़ हवा नहीं खीचते तो उसके साथ ब्रह्मान्ड की सारी उर्जा को उसमे खींचते है। अब आपको लगेगा की सिर्फ़ साँस खीचने से ऐसा कैसा होगा। हम जो साँस फेफडो में खीचते है, वो सिर्फ़ साँस नहीं रहती उसमे सारे ब्रम्हन्ड की सारी उर्जा समायी रहती है। मान लो जो साँस आपके पूरे शरीर को चलाना जानती है, वो आपके शरीर को दुरुस्त करने की भी ताकत रखती है।
प्राणायाम का महत्व
प्राणायाम का योग में बहुत महत्व है। आदि शंकराचार्य श्वेताश्वतर उपनिषद पर अपने भाष्य में कहते हैं, "प्राणायाम के द्वारा जिस मन का मैल धुल गया है वही मन ब्रह्म में स्थिर होता है। इसलिए शास्त्रों में प्राणायाम के विषय में उल्लेख है।" स्वामी विवेकानंद इस विषय में अपना मत व्यक्त करते हैं, "इस प्राणायाम में सिद्ध होने पर हमारे लिए मानो अनंत शक्ति का द्वार खुल जाता है। मान लो, किसी व्यक्ति की समझ में यह प्राण का विषय पूरी तरह आ गया और वह उस पर विजय प्राप्त करने में भी कृतकार्य हो गया , तो फिर संसार में ऐसी कौन-सी शक्ति है, जो उसके अधिकार में न आए? उसकी आज्ञा से चन्द्र-सूर्य अपनी जगह से हिलने लगते हैं, क्षुद्रतम परमाणु से वृहत्तम सूर्य तक सभी उसके वशीभूत हो जाते हैं, क्योंकि उसने प्राण को जीत लिया है। प्रकृति को वशीभूत करने की शक्ति प्राप्त करना ही प्राणायाम की साधना का लक्ष्य है।"
प्राणायाम और स्वास्थ्य
आजकल की भाग दौड़ और तनाव से भरी जिंदगी ने शरीर को अस्वस्थ कर दिया है| दिमाग में भी अशांति, चिंता, भय, शोक और इर्ष्या ने घर कर लिया है| जैसा की हम सभी जानते है की मानसिक तनाव और विचारो को काबू में करने के लिए व्यायाम बेहद आव्यशक है| व्यायाम करने से हमारे शरीर को ताकत मिलती हैं। मानसिक तनाव और विचारो को काबू में करने के लिए योग मदद करता है|
योग के जरिये दिमागी कसरत होती है जिससे स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते है| यहाँ तक की इससे हमारा वजन कम करने में सहायक होता है| मन को शांति पहुँचाने के लिए योग और प्राणायाम से बेहतर कोई विकल्प नहीं है| इससे हमारे मन को शांति मिलती है| इससे शरीर भी सुन्दर और चुस्त-दुरुस्त बनता है|
प्राणायाम से निम्न स्वास्थ्य लाभ है
1. प्राणायाम करने से दिमाग तेज होता है|
2.प्राणायाम करने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार आता है|
3.यह उन लोगों के लिए सबसे लाभदायक होता है जिन्हे अस्थमा या सांस सम्बंधी समस्या होती है।
4.जिनकी नाक बहती रहती है, ऐसे ग्रसित लोगों को प्राणायाम अवश्य करना चाहिए, इससे उनकी नाक के रास्ते साफ रहते है|
5.इससे पाचन सम्बंधी कई प्रकार की समस्याएं भी ठीक होती है| पेट में गड़बड़ी होने पर भी प्राणायाम से लाभ मिलता है।
6.रोजाना प्राणायाम करने से डिप्रेशन और तनाव में आराम पहुँचता है। आप पढ़ाई करने के बाद हुई थकान को भी प्राणायाम से दूर भगा सकते है।
7.इसका नियमित अभ्यास करने से चेहरे की झुर्रियाँ और आँखों के नीचे काले घेरे दूर होते है और चेहरे की चमक बढ़ती है|
8.प्राणायाम का अभ्यास करने से कफ, वात ,पित्त से जुड़े विकार दूर होते है और इस प्राणायाम को रोज़ाना करने से शरीर का कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम होता है|
9.प्राणायाम के नियमित अभ्यास से हमारे शरीर का संपूर्ण विकास होता है।
10.इससे फेफड़ों में अधिक मात्रा में शुद्ध हवा जाती है| जिससे शरीर स्वस्थ रहता है|
सावधानियाँ
सबसे पहले तीन बातों की आवश्यकता है, विश्वास,सत्यभावना, दृढ़ता।करने से पहले हमारा शरीर से और बाहर से शुद्ध होना चाहिएएक पंक्ति में अर्थात सीधी होनी चाहिए। सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन किसी भी आसन में बैठें, मगर जिसमें आप अधिक देर बैठ सकते हैं, उसी आसन में बैठें।प्राणायाम करते समय हमारे हाथों को ज्ञान या किसी अन्य मुद्रा में होनी चाहिए।प्राणायाम करते समय हमारे शरीर में कहीं भी किसी प्रकार का तनाव नहीं होना चाहिए, यदि तनाव में प्राणायाम करेंगे तो उसका लाभ नहीं मिलेगा।प्राणायाम करते समय अपनी शक्ति का अतिक्रमण ना करें।हर साँस का आना जाना बिलकुल आराम से होना चाहिए।जिन लोगो को उच्च रक्त-चाप की शिकायत है, उन्हें अपना रक्त-चाप साधारण होने के बाद धीमी गति से प्राणायाम करना चाहिये।यदि आँप्रेशन हुआ हो तो, छः महीने बाद ही प्राणायाम का धीरे धीरे अभ्यास करें।हर साँस के आने जाने के साथ मन ही मन में ओम् का जापओम् का जाप का उपचारण करने से हमारे पूरे शरीर मे (सिर से ले कर पैर के अंगूठे तक ) एक वाइब्रेशन होती है जो हमारे अंदर की नगेस्टिव एनर्जी को बाहर निकल के मन और आत्मा को शुद्ध करती है।
प्राणायाम के प्रकार
1.भस्त्रिका प्राणायाम
2.कपालभाति प्राणायाम
3.बाह्य प्राणायाम
5.भ्रामरी प्राणायाम
6.उद्गीथ प्राणायाम
7.प्रणव प्राणायाम
9.सीत्कारी प्राणायाम
10.शितली प्राणायाम
11.चंदभेदी प्राणायाम
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