"एंडोमेट्रियोसिस"महिलाओं में गर्भधारण की समस्या का कारण

 एंडोमेट्रियोसिस ऐसी बीमारी है जिसमें गर्भाशय जैसी लाइनिंग गर्भाशय के बाहर भी बनने लगती है। जब ओवेरी, बाउल, पेल्विस में ऐसी लाइनिंग बनती है ,तो गर्भधारण में दिक्कत और महावारी में असहनीय दर्द होता है। करीब 40% गर्भवती महिलाओं के लिए हेल्दी डाइट चार्ट फॉलो करने के बाद भी एडोमेट्रियोसिस से गर्भधारण में दिक्कत आती है। दुनिया भर में करीब 9 करोड़ से अधिक महिलाएं इससे प्रभावित हैं। इस बीमारी की पहचान होने में दिक्कत होती है, क्योंकि कई बार अल्ट्रासाउंड से भी यह बीमारी पकड़ में नहीं आती है।

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एंडोमेट्रियोसिस के संभावित लक्षण

हर महिला में इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। उनको पेल्विक वाले हिस्से में दर्द, मासिक धर्म से पहले और मासिक धर्म के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द, महावारी के 1 या 2 हफ्ते के आसपास पेट में ऐठन, महावारी के बीच में ब्लीडिंग या पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग होना, इनफर्टिलिटी, यौन संबंध के दौरान दर्द, शौच जाने में असहज होना आदि लक्षण हो सकते हैं।

प्रेगनेंसी में दिक्कत इसलिए होती है, क्योंकि कंसीव करने में सफलता नहीं मिलती है ,तो एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है। प्रेगनेंसी के लिए ओवरी में अंडे रिलीज होते हैं ,जो फेलोपियन ट्यूब से स्पर्म की कोशिका से फ़र्टिलाइज़ होते हैं और विकसित होने के लिए स्वत: ही यूट्राइन दीवार से जुड़ जाते हैं। इससे ट्यूब में रूकावट होने से अंडे एवं स्पर्म एक साथ नहीं हो पाते हैं।

एंडोमेट्रियोसिस के कारण

वैसे तो एंडोमेट्रियोसिस होने का कोई एक कारण नहीं है। लेकिन सामान्यता है कुछ कारण है जिनका यह जिक्र किया गया है, जिसके कारण एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है। 25 से 40 वर्ष के बीच होने वाली इस बीमारी के लक्षण 15 16 वर्ष से ही दिखने लगते हैं। फैमिली हिस्ट्री, पेट की सर्जरी, अधिक मात्रा में एस्ट्रोजन,पेल्विक में कैविटी भी इसका कारण है। यह बीमारी 20 वर्ष से कम उम्र की किशोरियों में भी अधिक देखी की जा रही है।

एंडोमेट्रियोसिस के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

एंडोमेट्रियोसिस ऐसी बीमारी है जिसके सामाजिक व सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता  है। इसमें होने वाले गंभीर दर्द, थकान, अवसाद ,चिंता और बांझपन से जीवन की गुणवत्ता घट जाती है। इस दौरान शरीर में तेज दर्द से लड़कियों का स्कूल या काम तक छूट जाता है। घर में काम करने की स्थिति तक नहीं रह जाती है। वैवाहिक जीवन भी खराब होने लगता है।

एंडोमेट्रियोसिस से राहत पाने के घरेलू उपाय

अलसी के बीज:

अलसी के बीजों में ओमेगा 3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होता है। इन्हें नियमित रूप से आहार में शामिल करना चाहिए। इसे 5 से 10 ग्राम तक की मात्रा में लेने से दर्द में आराम मिलता है। यह बॉडी डिटॉक्सीफिकेशन भी करता है।

हल्दी:

हल्दी किसी भी रूप में लेने से लाभ मिलता है। जिस महिला को एंडोमेट्रियोसिस की दिक्कत है, वह दूध में हल्दी मिलाकर पी सकती है। हल्दी में मौजूद एंटीबायोटिक्स इसके संक्रमण को  बढ़ने से रोकते हैं।

शहद:

यह एंडोमेट्रियोसिस ग्रसित महिलाओं के लिए एक अच्छा घरेलू उपाय है। इसे यदि वह सुबह-शाम एक-एक चम्मच लेती है तो इसमें मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण शरीर के अंदर की सूजन को कम करते हैं। इससे दर्द में राहत मिलती है।

अदरक: 

अदरक में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो मासिक धर्म में होने वाली परेशानियों को ठीक करने में सहायक होते हैं।

अरंडी का तेल:

अरंडी का तेल या कैस्टर आयल आसानी से कहीं भी मिल जाता है। इसके उपयोग से शरीर के विषैले पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते हैं,जिससे शरीर का शुद्धिकरण होता है और इस समस्या में आराम मिलता है।

दवा और सर्जरी से होता है इलाज

यद्यपि ऊपर बताए गए घरेलू उपाय इस समस्या में काफी राहत देते हैं किंतु फिर भी यदि समस्या बढ़ती है, तो दवा और सर्जरी से ही इलाज संभव है। इस बीमारी में डॉक्टर जांच के बाद कुछ दवाइयां देते हैं। अगर इनसे आराम नहीं मिलता है, तो सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है। हल्के लक्षण होने पर गुनगुने पानी से नहाने, पेट की गर्म सिकाई या नियमित व्यायाम से भी आराम मिलता है। कुछ मरीजों में हार्मोन थेरेपी से भी मदद मिल सकती है।

सारांश रूप में यदि किसी महिला को गर्भधारण में समस्या हो अथवा लगातार माहवारी के दौरान असहनीय दर्द होता हो तो एंडोमेट्रियोसिस की समस्या संभव है अतः तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क अवश्य करना चाहिए ताकि समय रहते इसका इलाज किया जा सके।



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