होम्योपैथी में एक दवा से कई बीमारियों का होता है इलाज,

होम्योपैथी में बीमारियों का इलाज और परहेज

होम्योपैथी चिकित्सा की शुरुआत वर्ष 1976 में जर्मन एलोपैथिक चिकित्सक सैमुअल हैनीमैन ने की थी।यह पेथी अमेरिका, फ्रांस,जर्मनी जैसे विकसित देशों तक में प्रचलित है।लेकिन भारत में इसे ज्यादा पसंद किया जाता है। यहां न केवल होम्योपैथी डॉक्टर सबसे ज्यादा है,बल्कि इस पेथी पर यहां के लोगों का भरोसा भी अधिक है।भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की ओर से भी इसे बढ़ावा दिया जा रहा है।

होम्योपैथी में एक दवा से कई बीमारियों का इलाज,रोग की प्रकृति के अनुसार ही करना होता है परहेज, होमियोपैथिक चिकित्सा,होम्योपैथी में इलाज,होम्योपैथी में परहज
होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से इलाज

होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की विशेषताएं

होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की निम्न विशेषताओं के कारण होम्योपैथी को वर्तमान समय में अत्यधिक पसंद किया जा रहा है -

क्यों पसंद है होम्योपैथी इलाज के लिए?

होम्योपैथी में हर मरीज के लिए दवाइयों का डोज एक जैसा होता है। मसलन किसी मरीज की उम्र कम है या ज्यादा है।इससे दवाई के डोज पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।बच्चों,वयस्कों और महिला व पुरुष को भी समान डोज दी जाती है असर भी समान होता है।

इन बीमारियों में बेहतर है होम्योपैथी

होम्योपैथी में लगभग सभी पुरानी व असाध्य बीमारियों के लिए इलाज मौजूद है।अन्य पैथी से इलाज के बावजूद बार बार उभर कर आने वाली बीमारियों के लिए मानते हैं,कि होम्योपैथी उन्हें जड़ से खत्म कर देती है।जैसे एलर्जी, एग्जिमा,अस्थमा,कोलाइटिस,माइग्रेन आदि शुगर,बीपी,थायराइड आदि के नए मामलों में भी है ज्यादा कारगर है।

ऐसे होता है होम्योपैथी में इलाज

होम्योपैथी में इलाज के दौरान मरीज की हिस्ट्री पूछी जाती है।मरीज की हिस्ट्री काफी मायने रखती है।मरीज क्या सोचता है,वह किस तरह के सपने देखता है,जैसे सवाल भी पूछे जाते हैं। ऐसे जवाब जानने के बाद ही मरीज का इलाज शुरू किया जाता है।

होम्योपैथिक दवाइयों का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है

सामान्यतया प्रचलित एलोपैथिक पद्धति में दवाइयों के साइड इफेक्ट अत्यधिक होते हैं, जैसे लंबे समय तक पेन किलर लेने से किडनी पर असर पड़ता है,जबकि होम्योपैथिक दवाइयों से किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट नजर नहीं आते हैं।

होम्योपैथिक दवाइयां लेने में आसान होती है

जहां एक और एलोपैथिक दवाइयां लेने से मरीज आनाकानी कर सकता है।वहीं दूसरी ओर होम्योपैथी दवाइयां लेने में आसान होती है। इसकी मीठी गोलियां हर उम्र के लोग स्वेच्छा से लेना पसंद करते हैं।इन्हें आसानी से लिया जा सकता है।

होम्योपैथिक दवाइयों की आदत नहीं पड़ती है

एलोपैथिक पद्धति में दी जाने वाली दवाइयों में कुछ दवाइयां ऐसी होती है।जिनकी मरीज के शरीर को नशे के समान लत लग जाती है। जबकि होम्योपैथी में इस प्रकार की कोई समस्या नहीं होती है।होम्योपैथिक दवाइयां लेने से इन दवाइयों की लत नहीं पड़ती है।

होम्योपैथिक इलाज सबसे सस्ता होता है

एलोपैथिक पद्धति और आयुर्वेदिक पद्धति में दवाइयों का खर्च अत्यधिक होता है। विभिन्न प्रकार की दवाइयां अत्यधिक महंगे दामों में उपलब्ध होती है। जबकि होम्योपैथी में उपयोग की जाने वाली दवाइयां अन्य पैथी में उपयोग में ली जाने वाली दवाइयों की तुलना में काफी सस्ती होती है। अन्य पैथी की तुलना में होम्योपैथी में दवाइयों का खर्च 10 फ़ीसदी भी नहीं होता है।

होम्योपैथी दवाइयां हर वर्ग के लिए उपयोगी हैं

एलोपैथिक पद्धति में अंग्रेजी दवाइयां ऐसी होती है,जो विशिष्ट प्रकार के मरीजों जैसे गर्भवती महिला,बुजुर्ग,छोटे बच्चों इत्यादि को नहीं दी जाती है।किंतु होम्योपैथी में प्रचलित दवाइयां हर उम्र और वर्ग के मरीजों के लिए उपयुक्त होती है।

होम्योपैथी में एक दवा से कई बीमारियों का इलाज होता है

एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति और आयुर्वेदिक पद्धति में अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग-अलग प्रकार की दवाइयां देनी होती है। जबकि होम्योपैथी में कई समस्याओं या रोगों का इलाज एक ही दवा से किया जाता है।

होम्योपैथी से जुड़ी कुछ भ्रांतियां

० परहेज बहुत करना पड़ता है

होम्योपैथी से जुड़ी हुई एक भ्रांति है कि होम्योपैथिक दवाइयां लेते समय परहेज बहुत अधिक करना पड़ता है।जबकि वास्तविकता यह है कि केवल दवाई लेने के लिए मुंह को साफ रखना होता है।कुछ बीमारियों के लिए परहेज रखने पड़ते हैं,जैसे गैस की समस्या में इसे बढ़ाने वाली चीजों से दूर रहें, तेज गंध वाली चीजों से परहेज वाली बातें भी भ्रामक है।

० इलाज लंबा चलता है

होम्योपैथी से जुड़ी हुई दूसरी भ्रांति यह है कि होम्योपैथी में इलाज लंबा चलता है।वास्तविकता यह है कि अगर मरीज रोग की प्रारंभिक अवस्था में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति को अपना लेता है,तो उसको लंबा इलाज लेने की आवश्यकता नहीं होती है। किंतु सामान्यतया देखने में आता है कि मरीज अलग-अलग पैथी में इलाज लेने के बाद इस पैथी में आते हैं।कई बार तो मरीज 15- 20 साल बाद इस पैथी में इलाज के लिए आता है।इस कारण से इलाज लंबा चलाना होता है।

० पहले बीमारी होती है और फिर उसका इलाज होता है

क्रॉनिक बीमारियों के इलाज के दौरान कुछ लक्षण अस्थाई रूप से दिख सकते हैं।माना जाता है कि बीमारी अंदर से बाहर की ओर आ रही है, लेकिन ऐसा नहीं है कि इससे मरीज को कोई दिक्कत या दर्द होता है।

० दवा देरी से असर करती है

होम्योपैथी के बारे में भ्रांति है कि इसमें दवा देरी से असर करती है।जबकि वास्तव में लक्षणों की पहचान सही समय पर होने पर,यह पैथी भी एलोपैथी और आयुर्वेद की तरह ही काम करती है।लक्षणों के आधार पर दवा दी जाती है। इलाज मरीजों से प्राप्त जानकारी के आधार पर किया जाता है।

० होम्योपैथी में गंभीर रोगों का इलाज नहीं है

ऐसा माना जाता है कि होम्योपैथी केवल सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए ही उपयोगी है।गंभीर रोगों का इलाज इस पैथी में नहीं है, जबकि वास्तविकता यह है, कि गंभीर बीमारियों में होम्योपैथिक इलाज भी कारगर है।यह त्वचा फेफड़े,जोड़ व ऑटोइम्यून बीमारियों में काफी उपयोगी है।
सारांश रूप में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति अत्यंत ही सस्ती सभी रोगों में उपयोगी और अन्य सभी पद्धतियों से बेहतर तरीके से रोगों का जड़ से इलाज करती ह

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शीघ्रपतन(premature ejaculation) की समस्या ,करें ये आसान आयुर्वेदिक उपचार ,

constipation and aayurveda : आयुर्वेदिक नुस्खों से करें पुरानी कब्ज को जड़ से खत्म

अश्वगंधा एक वरदान,अनेक है इसके फायदे