थायराइड के लक्षण, ये है समस्याएं, ऐसी होनी चाहिए डाइट

 थायरॉयड की समस्या

विषय वस्तु(Content):

1.थायरॉयड ग्रंथि क्या है(what is thyroid gland)

2.थायरॉयड से जुड़ी समस्याएं (problems of thyroid,)

3.थायरॉयड के लक्षण(thyroid symptoms)

4.महिलाओं में थायराइड के लक्षण(thyroid. Symptoms in female)

5.थायरॉयड के कारण(causes of thyroid)

6.थायरॉयड टेस्ट(thyroid test)

7.थाइराइड रोगियों के लिए डाइट(diet for thyroid patiens)

1.थायराइड ग्रंथि क्या होती है (What is thyroid gland)

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थायराइड ग्रंथि(Thyroid gland) एक H आकार की अंतःस्त्रावी ग्रंथि है, यह ग्रंथि गर्दन के क्षेत्र में स्वर यंत्र के नीचे परंतु श्वांस नाली के ऊपर स्थित होती है।
यह शरीर की सबसे बड़ी अंतःस्त्रावी ग्रंथि होती है, जो दो पालियों में विभाजित होती है तथा से विभाजित करने वाली संरचना को इस्थमस(Isthmus) कहते हैं। दोनों भाग इस्थमस से जुड़े रहते हैं।
थायराइड ग्रंथि(Thyroid gland) की प्रत्येक पाली या लॉब विभिन्न प्रकार के छोटे छोटे लोबो से मिलकर बने होते हैं, जिन्हे लॉब्यूल कहते हैं,और यह लॉब्युल क्यूबोडाइल एपीथिलियम से मिलकर बने होते हैं। जो सभी आपस में संयुक्त रहते हैं, तथा संयोजी ऊतकों से जुड़े रहते हैं।  
थायरोइड ग्रंथि एक बहुत महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है, क्योंकि यह विभिन्न प्रकार की उपापचय क्रियाओं को नियंत्रित करती है।
थायराइड ग्रंथि(Thyroid glend) से मुख्यतः दो प्रकार के हार्मोंस स्त्रावित होते हैं:-

थायरोक्सिन (T4) (thyroxine)

ट्राइआयडोथायरोनिन (T3)(tryiodothyronin) इन हारमोंस को आयोडीन युक्त अमीनो अम्ल भी कहा जाता है।

इन हारमोंस में लगभग 10% कार्बोहाइड्रेट्स जबकि 123 थायरोक्सिन के परमाणु पेप्टाइड बंधन से आपस में संबंधित रहते हैं. इसलिए इनको सम्मिलित रूप में (T4T3) रूप में थायरोग्लोबुलिन (Thyroglobulin) भी कहा जाता है।यह लोब्यूल की गुहिका ल्यूमिन में एकत्र होती है।  

 थायराइड की कोशिकाएँ (Cells) तीन मुख्य कार्य करती हैं।

1.इनका काम भोजन से प्राप्त आयोडीन को एकत्र करना और उसका परिवहन करना होता है।
2.इन कोशिकाओं का काम थायरोग्लोबुलीन को कोलॉइड में श्रावित करना होता है।
3.यह थायरोग्लोबुलीन से थायरोक्सिन को अलग करती है, तथा रक्त में पहुंचाती हैं, यद्यपि थायरोग्लोबुलीन भी रक्त प्लाज्मा में ही प्रभावित होती है।   

थायराइड होर्मोन्स के कार्य  (Thyroid hormonse function)

थायराइड ग्रंथि से निकलने वाला हार्मोन जिसका नाम थायरोक्सिन हार्मोन है, वह विभिन्न प्रकार की मेटाबॉलिक क्रियाओं पर नियंत्रण रखते है, थायरोक्सिन हार्मोन के कार्य निम्न प्रकार से हैं:- 

1.थायरोक्सिन हार्मोन कार्बोहाइड्रेट के उपापचय को बढ़ाता है, जिसमें ग्लूकोज के अवशोषण से लेकर ऊतको के द्वारा इसके उपयोग की क्रियाएं भी सम्मिलित होती हैं।2.थायरोक्सिन हार्मोन का कार्य शरीर के द्वारा ऑक्सीजन के उपयोग की क्षमता को बढ़ाना है, इस प्रकार से थायरोक्सिन हार्मोन ऑक्सीकरण की क्रिया को बढ़ाते हैं, जिससे ऊर्जा ऊष्मा उत्पन्न होती है, और उपापचय की गति भी बढ़ती है।
3.थायरोक्सिन हार्मोन सभी स्तनधारियों पक्षियों के शरीर के तापमान को नियंत्रण मैं रखती है।
4.इसके साथ ही यह प्रोटीन संश्लेषण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
5.थायरोक्सिन हार्मोन उभयचर प्राणियों में कायांतरण के लिए उत्तरदाई होता है। इसके साथ ही यह स्तनधारियों में स्वशन की गति, ह्रदय गति और रक्त के दबाव को बढ़ाता है।

6.थायराइड ग्रंथि और थायरोक्सिन हार्मोन कुछ नियंत्रण के कार्य करती है। यह सभी कोशिकाओं के ऊतकों की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करती है, तथा लैंगिक विकास को प्रभावित करती है।
7.थायराइड ग्रंथि और थायराइड हार्मोन अस्थियों की वृद्धि उनकी परिपक्वता, दांतों की वृद्धि और विकास उर्जा की उपापचय क्रिया व मानसिक विकास तथा शरीर की वृद्धि को भी नियंत्रित करती है।
8.थायरोक्सिन हार्मोन तंत्रिका तंत्र पर भी प्रभाव डालती है।

2.थाइराइड से जुड़ी समस्याएं (problems of thyroid)

थायराइड ग्रंथि में विकार के कारण अलग-अलग प्रकार की समस्यायें (problems) पैदा होती है थायराइड से जुड़ी समस्याएं ( problems from thyroid)निम्न प्रकार है-

हाइपरथाइरॉयडिज्म(hyper thyroid)-

 थाइराइड  में विकार के कारण यह अति सक्रिय हो जाती है और हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है।थाइराइड की इस समस्या(problems of thyroid) को हाइपरथायराइडिज्म कहते हैं।

हाइपोथायरायडिज्म -

 थायराइड में गड़बड़ी के कारण इसकी सक्रियता में कमी हो जाती है फल स्वरुप थायराइड हारमोंस का स्राव कम कर देती है। यह थायराइड समस्या(thyroid problem) हाइपोथायराइडिज्म कहलाती है।

थायराइड कैंसर- 

ऊत्तकोंं के आधार पर थायराइड कैंसर के अनुसार निम्न प्रकार का होता है:
1. डिफरेंशियल थायराइड कैंसर: थाइराइड से जुड़ी इस समस्या (problems of thyroid)पापिलरी थाइरॉएड कैंसर और फाेलिक्यूलर थायराइड कैंसर एक साथ होने पर इसे डिफरेंशियल थायराइड कैंसर कहा जाता है। इस प्रकार के थायरॉयड कैंसर  की समस्या (thyroid problem)उपकला या एपीथिलियम कोशिकाओं से होता है यह सबसे सामान्य प्रकार का थायराइड कैंसर है।
2. ऐनाप्लास्टिक थायराइड कैंसर: ऐनाप्लास्टिक थायराइड कैंसर की समस्या(problems from thyroid) तेजी से बढ़ने वाली तथा बहुत ही दुर्लभ प्रकार की समस्या है। इसका इलाज बहुत ही मुश्किल है। इस प्रकार का कैंसर सामान्यतः थायराइड कैंसर के रोगियों में से 2% में ही होता है। इस प्रकार का थायराइड कैंसर 60 की उम्र के पार लोगों में पाया जाता है। इस  थायरॉयड समस्या(problems of thyroid) में नए उत्तक बन जाते हैं जो थायराइड ऊतकों से बिल्कुल भिन्न होते हैं।

3.थायराइड के लक्षण(thyroid symptoms)

थायराइड के रोगियों में थायराइड हार्मोन के स्त्राव के अनुसार अलग-अलग परिस्थितियां बनती है। हार्मोंस स्त्राव की स्थिति के अनुसार अलग-अलग  रोगियों में अलग-अलग प्रकार के लक्षण(thyroid symptoms) दिखाई देते हैं-

हाइपर थायराइडिज्म(hyper thyroid) के रोगियों में थायरॉयड लक्षण (thyroid symptoms):

.चिंता,घबराहट,परेशानी और मूड बदलना -हाइपर थायराइड के मरीजों में हृदय की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं जिसमें हृदय गति तेज़ हो जाती है और कंजेस्टिव हार्ट फेलियर का जोखिम बढ जाता है

.थायरॉइड स्टॉर्म :- थायराइड स्टॉर्म एक जानलेवा स्वास्थ्य समस्या है, जो कि हाइपर थायराइड का इलाज़ ना होने पर होती है। थायरॉइड स्टॉर्म में आपके थायरॉइड हार्मोन्स का स्तर काफी बढ जाता है जिसके परिणाम स्वरूप शरीर का तापमान, रक्तचाप और हृदय गति खतरनाक रूप से उच्च स्तर तक बढ़ जाता है। अगर इसका तुरंत उपचार ना किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। हालांकि थायरॉइड स्टॉर्म सभी मरिजों में नहीं होता यह काफी कम मामलों में होता है।

.आँखों की समस्या :- ग्रेव्स ऑफ्थेलमोपथी के मरीजों में आँखों की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं जिसमें लाल उभरी हुई आंखें, आंखों में धुंधलापन और रोशनी का कम होने जैसी समस्याएं शामिल हैं।

बालों का टूटना,झड़ना और पतला होना -बालों के झड़ने के कई सारे कारण हो सकते हैं, एक कारण थायराइड डिसऑर्डर का भी हो सकता है। जिसमे कुछ जगह से बाल गायब होने के बजाय पूरा सिर ही गंजा हो जाता है। हालांकि इसका ट्रीटमेंट किया जा सकता है।

अधिक प्यास लगना।

नींद की कमी का होना -थायराइड की शिथिलता आपकी नींद को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। अंडरएक्टिव थायराइड भी खराब गुणवत्ता वाली नींद, देरी से या लंबे समय तक सोने की शुरुआत और कम नींद की ड्यूरेशन के साथ जुड़ा हुआ है।

. थकानथायराइड ग्रंथि चयापचय क्रिया को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है, इसलिए एक निष्क्रिय थायराइड चयापचय को धीमा कर सकता है और आपको नियमित रूप से थका हुआ और सुस्त बना सकती है।

 . सांस फूलना और दिल की धड़कन का तेज होना -यदि किसी व्यक्ति की ह्रदय गति में बदलाव हो जाता है और वह सामान्य से तेज़ चलने लगती है, तो उसे इसकी जांच जरूर करानी चाहिए।

ह्रदय गति में बदलाव थायराइड के होने का संकेत हो सकता है।

. गलगंड या घेंघा रोग होना।

हड्डियों की समस्या :- हाइपर थायराइड के मरीजों की हड्डियां कमज़ोर होने लगती हैं जिसमें ओस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या उत्पन्न होने लगती है।

हाइपर थायराइडिज्म( hyper thyroid) के रोगियों में इन थायराइड लक्षणों ( thyroid symptoms) का पाया जाना सामान्य है।

हाइपोथायरायडिज्म मैं थायराइड के लक्षण (symptoms of thyroid):

हाइपोथायरायडिज्म के रोगियों में थायराइड के निम्न लक्षण(symptoms of thyroid) पाए जाते हैं ।जिसका कारण इन रोगियों में थायराइड हारमोंस के स्त्राव में कमी होना है-

1. वजन बढ़ना और अत्यधिक थकान होना इस प्रकार के रोगियों में एक सामान्य लक्षण है।

2. नाखूनों का कमजोर होना , दरारें आना और बालों का कमजोर होना,पतला होना और झड़ना इस प्रकार के रोगी का लक्षण है।

3. इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को सामान्यतया अवसाद में पाया गया है। रोगी की मांसपेशियों में जकड़न बनी रहती है।

4. रोगी का गला बैठा हुआ रहता है और समस्याओं के कारण रोगी मानसिक तनाव में रहता है।

इस प्रकार के लक्षणों (symptoms of thyroid)का पाया जाना हाइपो थायराइडिज्म का संकेत माना जा सकता है।

थायराइड कैंसर के रोगियों के लक्षण (symptoms for thyroid)-

थायराइड कैंसर से पीड़ित रोगियों में सामान्य रूप से गले के कैंसर अथवा सांस की बीमारी जैसे लक्षण (symptoms from thyroid) दिखाई देते हैं। आइए जानते हैं इन लक्षणों के बारे में:

1. प्रारंभिक लक्षणों(symptoms from thyroid) के रूप में गले में सूजन दिखाई दे सकती है।

2. धीरे-धीरे गले में थायराइड ग्रंथि वाले स्थान पर गांठ बनना शुरू होती है जो शुरुआत में तो किसी प्रकार की तकलीफ नहीं देती है लेकिन धीरे-धीरे उसने दर्द शुरू हो जाता है जो लगातार बढ़ता जाता है।

3. क्योंकि यह गांठ ग्रसनी क्षेत्र में होती है इसलिए जैसे-जैसे गांठ बड़ी होती है,रोगी को खाना निगलने में परेशानी आती है।

4. आवाज धीरे धीरे भारी होना शुरू हो जाती है और समय के साथ साथ आवाज बैठ जाती है और रोगी के मुंह से शब्दों का उच्चारण भी ठीक से नहीं हो पाता है।

5. गले में उपस्थित गांठ के कारण लगातार बिना एलर्जी और बिना सांस की बीमारी के भी खांसी आती रहती है रोगी को सांस लेने में भी अत्यधिक दिक्कत होती है।

शुरुआती चरण में थायराइड कैंसर के यह लक्षण (symptoms from thyroid) हल्के होते हैं लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरता जाता है इन लक्षणों की तीव्रता बढ़ती जाती है।

4.महिलाओं में थायराइड के लक्षण(thyroid. Symptoms in female)

थायराइड की बीमारी से महिलाएं ज्‍यादा ग्रस्‍त होती हैं ,महिलाओं में थायराइड के लक्षण(thyroid symptoms in females) ज्यादा देखने को मिलते है।लेकिन ‍किसी ना किसी कारणवश महिलाएं इसे नज़रअंदाज कर देती हैं। महिलाओं में थायराइड ग्रंथि बहुत महत्‍वपूर्ण होती है क्‍योंकि ये शरीर के अधिकतर हार्मोंस को नियंत्रित करती है। थायराइड ग्रंथि में किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर हार्मोन असंतुलन हो सकता है इसलिए महिलाओं के लिए बहुत जरूरी है कि वो थायराइड की समस्‍या(problems of thyroid) को अनदेखा ना करें।

थायराइड ग्लैंड(thyroid gland) गले के बीचो-बीच एक ऑर्गन होता है। इसका काम थायराइड हार्मोन पैदा करना है। थायराइड हार्मोन बहुत जरूरी हार्मोन होता है। यह दिल, दिमाग, त्वचा, बालों और मांसपेशियों को अत्‍यधिक प्रभावित करता है। इसलिए अगर किसी कारण वश थायराइड ग्लैंड(thyroid gland) काम करना बंद कर दे या काम ज्यादा करने लगे तो दोनों ही स्थिति में थायराइड प्रॉब्‍लम (thyroid problems)का शिकार हो सकते हैं। कई बार थायराइड ग्लैंड द्वारा थायराइड हार्मोन ज्यादा उत्‍पादित होने लगता है जिसे हाइपरथायराइडिज्म कहते हैं। अगर थाइराइड ग्रंं‍थि कम मात्रा में इस हार्मोन का उत्‍पादन करने लगे तो इसे हाइपोथायराइडिज्‍म कहते हैं। 

हाइपोथायराइडिज्‍म और हाइपरथायराइडिज्‍म, दोनों थायराइड के ही प्रकार हैं लेकिन महिलाएं हाइपोथायराइडिज्‍म से ज्‍यादा ग्रस्‍त होती हैं।

महिलाओं में थायराइड के निम्न लक्षण(symptoms of thyroid in female) पाए जा सकते है:

1.महिलाओं में थायराइड के लक्षणों(symptoms of thyroid in female)जो विशेष रूप से देखा जाता है वह है।भोजन पचने से शरीर में एनर्जी आती है। शरीर में थायराइड हार्मोन की कमी होने की वजह से ठीक तरह से भोजन का पाचन नहीं हो पाता है। इस कारण शरीर में एनर्जी लेवल में कमी आती है। इसलिए थायराइड से ग्रस्‍त महिला को  थकान सुस्तीऔर बहुत ज्यादा नींद आने की शिकायत रहती है।

2. महिलाओं में थायराइड का अन्य लक्षण (thyroid symptoms for females) जो देखने में आता है।थायराइड हार्मोन शरीर में एक गर्माहट लाता है जबकि थायराइड हार्मोन की कमी वजह से हमेशा ठंड लगती रहती है। 

3.शरीर में थायराइड हार्मोन की मात्रा कम होने पर डाइट या जीवनशैली में कोई खास बदलाव किए बिना ही वजन बढ़ने लगता है। थायराइड हार्मोन में ज़रा सी भी कमी आने पर दो या तीन महीने में दो से ढाई किलो वजन बढ़ सकता है।

महिलाओं में थायरॉयड का यह लक्षण(thyroid symptoms for females) उनकी दिनचर्या को अत्यधिक प्रभावित करता है।

4.महिलाओं और लड़कियों के मासिक चक्र अनियमित हो जाते हैं। शरीर में थायराइड हार्मोन कम होने की वजह से पीरियड्स (ब्लीडिंग) कम हो सकते हैं, ब्लीडिंग ज्यादा हो सकती है या फिर कई बार पीरियड्स बंद हो जाना भी महिलाओं में थायरॉयड के लक्षण(symptoms of thyroid in female) हो सकते है। ये स्थितियां परेशानी का सबब बनती हैं।

5.थायराइड हार्मोन कम होने पर महिलाओं को गर्भधारण करने में दिक्कत आ सकती है। दरअसल, शरीर में थायराइड हार्मोन कम होने के कारण ओव्यूलेशन में बाधा उत्पन्न होती है। थायराइड में पीरियड्स रेग्युलर होने के बावजूद ओव्यूलेशन न होने के कारण प्रेग्नेंसी होने में दिक्कत हो सकती है। 

अगर आप प्रेग्नेंट हो भी जाती हैं तो गर्भपात होने की आशंका बनी रहती है। यदि गर्भ ठहर भी गया है तो समय से पहले बच्‍चे का जन्‍म हो सकता है। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को थायराइड है तो बच्चे में भी थायराइड हार्मोन की प्राॅब्लम हो सकती है। थायराइड हार्मोन की कमी से बच्चे को हृदय और मस्तिष्क सम्बंधित समस्या हो सकती है।

5.थायराइड के कारण ( Thyroid Causes in Hindi)

 इनमें ये कारण प्रमुख हैं।

थायरायडिस- यह सिर्फ एक बढ़ा हुआ थायराइड ग्रंथि (घेंघा) है, जिसमें थायराइड हार्मोन बनाने की क्षमता कम हो जाती है।

 सोया उत्पाद- इसोफ्लावोन गहन सोया प्रोटीन, कैप्सूल, और पाउडर के रूप में सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यादा प्रयोग भी थायराइड होने के कारण हो सकते है। 

दवाएं- कई बार दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव (साइड इफैक्टप) भी थायराइड की वजह होते हैं। 

हाइपोथेलेमिक रोग- थायराइड की समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि के कारण भी होती है क्यों कि यह थायरायड ग्रंथि को हार्मोन उत्पादन करने के संकेत नहीं दे पाती। 

आयोडीन की कमी- भोजन में आयोडीन की कमी या ज्यादा इस्तेमाल भी थायराइड की समस्या में इजाफा करता है। 

विकिरण थैरेपी 

सिर, गर्दन और चेस्ट की विकिरण थैरेपी के कारण या टोंसिल्स, लिम्फ नोड्स, थाइमस ग्रंथि की समस्या या मुंहासे के लिए विकिरण उपचार के कारण्‍ा।

तनाव- जब तनाव का स्तर बढ़ता है तो इसका सबसे ज्यादा असर हमारी थायरायड ग्रंथि पर पड़ता है। यह ग्रंथि हार्मोन के स्राव को बढ़ा देती  है। 

परिवार का इतिहास- यदि आप के परिवार में किसी को थायराइड की समस्या है तो आपको थायराइड होने की संभावना ज्यादा रहती है। यह थायराइड का सबसे अहम कारण है। 

टॉक्सिन्स : विषाक्त पदार्थों जैसे कि कीटनाशक, प्लास्टिक, जीवाणुरोधी उत्पाद और भारी धातुएं थायरॉयड गतिविधि को प्रभावित करती है। वे ऑटोइम्यून डिसीज भी ट्रिगर करती है।

ग्लूटेन : यह प्रोटीन गेहूं, राई, जई, जौ में पाया जाता है और थायराइड की समस्या वाले कई लोगों के लिए एक मुद्दा है। यह इन अनाज से बनी चीजों में भी यह ग्लूटेन मौजूद होता है जैसे रवा या सूजी, दलिया, सेवइयां, पास्ता और मैदा गेहूं से बने उत्पाद हैं।

हार्मोन का असंतुलन : आपके हार्मोन सभी जुड़े हुए हैं और किसी भी हार्मोन का उत्पादन करने वाले एक एंडोक्राइन ग्रंथि में शिथिलता से होने वाला प्रभाव आपके थायरायड को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। कम एस्ट्रोजन, इंसुलिन रजिस्टेंस और कम टेस्टोस्टेरोन सभी थायराइड फंक्शंस को बाधित करते हैं।

विटामिन ए की कमी : विटामिन ए की कमी आपके थायरॉयड के लिए परेशानी पैदा कर सकता है क्योंकि यह वसा में घुलनशील विटामिन टी 3 के स्तर को बढ़ावा देने और टीएसएच को सामान्य करने के लिए दिखाया गया है।

ग्रेव्स रोग- ग्रेव्स रोग थायराइड का सबसे बड़ा कारण है। इसमें थायरायड ग्रंथि से थायरायड हार्मोन का स्राव बहुत अधिक बढ़ जाता है। ग्रेव्स रोग ज्यादातर 20 और 40 की उम्र के बीच की महिलाओं को प्रभावित करता है, क्योंकि ग्रेव्स रोग आनुवंशिक कारकों से संबंधित वंशानुगत विकार है, इसलिए थाइराइड रोग एक ही परिवार में कई लोगों को प्रभावित कर सकता है। 

गर्भावस्था- थायराइड का अगला कारण है गर्भावस्था, जिसमें प्रसवोत्तर अवधि भी शामिल है। गर्भावस्था एक स्त्री के जीवन में ऐसा समय होता है जब उसके पूरे शरीर में बड़े पैमाने पर परिवर्तन होता है, और वह तनाव ग्रस्त रहती है।

 रजोनिवृत्ति- रजोनिवृत्ति भी थायराइड का कारण है क्योंकि रजोनिवृत्ति के समय एक महिला में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते है। जो कई बार थायराइड की वजह बन।

6.थायरॉयड के लिए टेस्ट(test for thyroid)

थायरॉयड टेस्ट -TSH 

टीएसएच टेस्ट खून में थायरॉयड स्टिम्यूलेटिंग हार्मोन के स्तर को मापता है। दरअसल, थायरॉयड ग्रंथि ठीक से काम कर रही है या नहीं, यह पता करने के लिए टीएसएच टेस्ट कराया जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर आपका टीएसएच का स्तर 2.0 से अधिक है, तो हाइपरथायरॉयडिज्म बढ़ने का खतरा रहता है, जबकि टीएसएच का कम स्तर अतिसक्रिय थायरॉयड को दर्शाता है। दरअसल, इसका मतलब ये होता है कि शरीर में आयोडीन का स्तर बढ़ गया है। 

थायरॉयड टेस्ट -T4 

T4 टेस्ट को थायरॉक्सिन टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि T4 का उच्च स्तर अतिसक्रिय थायरॉयड ग्रंथि यानी हाइपरथायरॉयडिज्म को दर्शाता है, जिसके लक्षणों में चिंता, वजन घटना और दस्त शामिल हैं। हालांकि आमतौर पर T4 और TSH टेस्ट को एक साथ कराने की सलाह दी जाती है।  

थायरॉयड टेस्ट -T3  

T3 टेस्ट ट्राईआयोडीनथायरोक्सिन हार्मोन के स्तर की जांच करता है। आमतौर पर डॉक्टर यह टेस्ट तब करवाने के लिए कहते हैं, जब T4 और TSH टेस्ट के बाद हाइपरथायरॉयडिज्म की आशंका हो। यह समस्या तब होती है जब थायरॉयड ग्रंथि थायरोक्सिन हार्मोन का बहुत अधिक उत्पादन करती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि हाइपरथायरॉयडिज्म शरीर के मेटाबॉलिज्म को तेज कर सकता है, जिससे अचानक से वजन कम हो सकता है और दिल की धड़कन तेज या अनियमित हो सकती है। 

7.थाइराइड रोगियों के लिए डाइट(diet for thyroid patiens)

हाइपोथाइराइडिज्म में ये खाएं-

1. कम कैलोरी वाला आहार (अंगूर, सेब, खरबूजा, ब्रोकली, फूलगोभी, बीन्स, गाजर, चुकंदर) ।

2.हरी पत्तेदार और रंगीन सब्जियां (भिंडी, लौकी, मेथी, पालक, बैंगन, टमाटर, करेला) ।

3.प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ (दाल, दही, अंडा, चिकन, मछली) ।

4.सूखे मेवे और बीज (अखरोट, सूरजमुखी के बीज आदि) ।

हाइपोथाइराइडिज्म में ये न खाएं-

1.सोयाबीन या सोया युक्त खाद्य पदार्थ ।

2.अधिक फैट वाले खाद्य पदार्थ (पास्ता, ब्रेड, बर्गर, केक, पेस्ट्री, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ आदि) ।

3.चीनी युक्त खाद्य पदार्थ ।

हाइपरथाइरायडिज्म में ये खाएं -

1.हाई कैलोरी फूड जैसे फुल क्रीम दूध और उससे बनी दही, पनीर, चीकू, केला आदि। खजूर खाने से भी फायदा होता है। 

2.उच्च प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ (दाल, राजमा, दही, अंडा, मछली आदि) ।

3.बादाम, अखरोट, पिस्ता, मूंगफली सफेद तिल, अलसी के बीज, सूरजमुखी के बीज, खरबूजे के बीज सब्जियों में फूलगोभी, ब्रोकली आदि ।

हाइपरथाइरायडिज्म में ये न खाएं -

1.आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ कम मात्रा में खाएं या बिल्कुल न खाएं।

2.जंक फूड न खाएं ।

3.भोजन से पहले पानी या कोई भी ड्रिंक लेने से बचें ।

नोट:उक्त लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है।कोई भी समस्या होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क अवश्य करे।












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