दमा (अस्थमा) क्या है, कारण व लक्षण

दमा(अस्थमा)क्या है ?एक परिचय

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दमा (अस्थमा) श्वसन तंत्र की एक गंभीर बीमारी है, जो श्वास नलिकाओं को प्रभावित करती है। श्वास नलिकाएं फेफड़े से हवा को अंदर-बाहर करती हैं। दमा होने पर इन नलिकाओं की भीतरी दीवार में सूजन होता है। 

यह सूजन नलिकाओं को बेहद संवेदनशील बना देता है और किसी भी बेचैन करनेवाली चीज के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करता है। जब नलिकाएं प्रतिक्रिया करती हैं, तो उनमें संकुचन होता है और उस स्थिति में फेफड़े में हवा की कम मात्रा जाती है। 

इससे खांसी, नाक बजना, छाती का कड़ा होना, रात और सुबह में सांस लेने में तकलीफ आदि जैसे लक्षण पैदा होते हैं।

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दमा (अस्थमा) को ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है, ताकि दमे से पीड़ित व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सके।

 दमे का दौरा पड़ने से श्वास नलिकाएं पूरी तरह बंद हो सकती हैं, जिससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को आक्सीजन की आपूर्ति बंद हो सकती है।

 यह चिकित्सकीय रूप से आपात स्थिति है। दमे के दौरे से मरीज की मौत भी हो सकती है।

दमा (अस्थमा) एक अथवा एक से अधिक पदार्थों  के प्रति शारीरिक प्रणाली की एलर्जी है। इसका अर्थ है कि हमारे शरीर की प्रणाली उन विशेष पदार्थों को सहन नहीं कर पाती और जिस रूप में अपनी प्रतिक्रिया या विरोध प्रकट करती है, उसे एलर्जी कहते हैं।

 हमारी श्वसन प्रणाली जब किन्हीं एलर्जेंस के प्रति एलर्जी प्रकट करती है तो वह दमा होता है। यह साँस रोगों में सबसे अधिक कष्टदायी है। 

दमा के रोगी को सांस फूलने या साँस न आने के दौरे बार-बार पड़ते हैं और उन दौरों के बीच वह अकसर पूरी तरह सामान्य भी हो जाता है।

अस्थमा यूनानी शब्द है, जिसका अर्थ है- 'जल्दी-जल्दी साँस लेना' या 'साँस लेने के लिए जोर लगाना'। 

जब किसी व्यक्ति को दमा का दौरा पड़ता है तो वह सामान्य साँस के लिए भी गहरी-गहरी या लंबी-लंबी साँस लेता है; नाक से ली गई साँस कम पड़ती है तो मुँह खोलकर साँस लेता है।

 वास्तव में रोगी को साँस लेने की बजाय साँस बाहर निकालने में ज्यादा कठिनाई होती है, क्योंकि फेफड़े के भीतर की छोटी-छोटी वायु नलियाँ जकड़ जाती हैं और दूषित वायु को बाहर निकालने के लिए उन्हें जितना सिकुड़ना चाहिए उतना वे नहीं सिकुड़ पातीं।
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 परिणामस्वरूप रोगी के फेफड़े फूल जाते हैं, क्योंकि रोगी अगली साँस भीतर खींचने से पहले खिंची हुई साँस की हवा को ठीक से बाहर नहीं निकाल पाता।

दमा(अस्थमा)के लक्षण


दमा (अस्थमा)या तो धीरे-धीरे उभरता है अथवा एकाएक भड़कता है। जब दमा एकाएक भड़कता है तो उससे पहले खांसी का दौरा होता है, किंतु जब दमा धीरे-धीरे उभरता है तो उससे पहले आमतौर पर श्वास प्रणाली में संक्रमण हो जाया करता है।

 दमा का दौरा जब तेज होता है तो दिल की धड़कन और साँस लेने की रफ्तार दोनों बढ़ जाती हैं तथा रोगी बेचैन व थका हुआ महसूस करता है। उसे खाँसी आ सकती है, सीने में जकड़न महसूस हो सकती है, बहुत अधिक पसीना आ सकता है और उलटी भी हो सकती है। 

दमे के दौरे के समय सीने से आनेवाली साँय-साँय की आवाज तंग श्वास नलियों के भीतर से हवा बाहर निकलने के कारण आती है। दमा के सभी रोगियों को रात के समय, खासकर सोते हुए, ज्यादा कठिनाई महसूस होती है।

1.सामान्यतया अचानक शुरू होता है।
2.किस्तों मे आता है।
3.रात या अहले सुबह बहुत तेज होता है।
4.ठंडी जगहों पर या व्यायाम करने से या भीषण गर्मी में तीखा होता है।
5.बलगम के साथ या बगैर खांसी होती है।
6.सांस फूलना, जो व्यायाम या किसी गतिविधि के साथ तेज होती है।
7.शरीर के अंदर खिंचाव (सांस लेने के साथ रीढ़ के पास त्वचा का खिंचाव)।

दमा(अस्थमा)के कारण


दमा (अस्थमा)कई कारणों से हो सकता है। अनेक लोगों में यह एलर्जी मौसम, खाद्य पदार्थ, दवाइयाँ इत्र, परफ्यूम जैसी खुशबू और कुछ अन्य प्रकार के पदार्थों से हो सकता हैं; कुछ लोग रुई के बारीक रेशे, आटे की धूल, कागज की धूल, कुछ फूलों के पराग, पशुओं के बाल, फफूँद और कॉकरोज जैसे कीड़े के प्रति एलर्जित होते हैं

। जिन खाद्य पदार्थों से आमतौर पर एलर्जी होती है उनमें गेहूँ, आटा दूध, चॉकलेट, बींस की फलियाँ, आलू, सूअर और गाय का मांस इत्यादि शामिल हैं।

 कुछ अन्य लोगों के शरीर का रसायन असामान्य होता है, जिसमें उनके शरीर के एंजाइम या फेफड़ों के भीतर मांसपेशियों की दोषपूर्ण प्रक्रिया शामिल होती है। 

अनेक बार दमा एलर्जिक और गैर-एलर्जीवाली स्थितियों के मेल से भड़कता है, जिसमें भावनात्मक दबाव, वायु प्रदूषण, विभिन्न संक्रमण और आनुवंशिक कारण शामिल हैं। 

एक अनुमान के अनुसार, जब माता-पिता दोनों को दमा या  (Hay Fever) होता है तो ऐसे 75 से 100 प्रतिशत माता-पिता के बच्चों में भी एलर्जी की संभावनाएँ पाई जाती हैं।

दमा(अस्थमा)के कुछ कारण इस प्रकार हैं-

1.जानवरों से (जानवरों की त्वचा, बाल, पंख या रोयें से)।
2.दीमक (घरों में पाये जाते हैं)।
3.तिलचट्टे।
4.पेड़ और घास के पराग कण।
5.धूलकण।
6.सिगरेट का धुआं।
7.वायु प्रदूषण।
8.ठंडी हवा या मौसमी बदलाव।
9.पेंट या रसोई की तीखी गंध।
10.सुगंधित उत्पाद।
11.मजबूत भावनात्मक मनोभाव (जैसे रोना या लगातार हंसना) और तनाव।
12.एस्पिरीन और अन्य दवाएं।
13.खाद्य पदार्थों में सल्फाइट (सूखे फल) या पेय (शराब)।
14.गैस्ट्रो इसोफीगल भाटा।
15.विशेष रसायन या धूल जैसे अवयव।
16.संक्रमण।
17.पारिवारिक इतिहास।
18.तंबाकू के धुएं से भरे माहौल में रहनेवाले शिशुओं को दमा होने का खतरा होता है। यदि गर्भावस्था के दौरान कोई महिला तंबाकू के धुएं के बीच रहती है, तो उसके बच्चे को दमा होने का खतरा होता है।
19.मोटापे से भी दमा हो सकता है। अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।

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