eyes floaters( flashes) in Hindi/आई फ्लोटर्स प्लेशेस इन हिंदी
eyes floaters( flashes) in Hindi/आई फ्लोटर्स प्लेशेस इन हिंदी |
आंखें हमारे शरीर का एक संवेदनशील अंग होती है।
इन छोटी सी आंखों में भी कई तरह की समस्याएं हो सकती है और लोगों को आंखों की समस्याओं के बारे में पता ही नहीं होता है।
आई फ्लोटर्स या फ्लेशेज यह समस्या होने पर व्यक्ति को अपनी नजर के सामने धब्बे या तैरती हुई कुछ लकीरें दिखाई देती है।
हालांकि वास्तविकता में उनकी आंखों के सामने ऐसा कुछ नहीं होता।
अधिकतर मामलों में आई फ्लोटर्स या फ्लैशेस खतरनाक नहीं होते किंतु फिर भी ऐसी समस्या होने पर एक बार चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
आइए जानते हैं इसके कारण और इलाज के बारे में -
क्या होते हैं आई फ्लोटर्स या फ्लैशेस/what is eye floaters and flashes
हमारी आंखों में एक जेली जैसा पदार्थ मौजूद होता है जिसे विट्रियस कहा जाता है।
विट्रियस पदार्थ की तरह जेली है जो आंखों को भरता है और आंखों के गोल आकार को बनाए रखने में मदद करता है।
लेकिन जैसे जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है उसका विट्रियस सिकुड़ने लगता है और उसकी आंख में कुछ गुच्छे से बनने लगते हैं जिन्हें आई फ्लोटर्स कहा जाता है।
यूं तो फ्लोटर्स नजर के सामने दिखाई देते हैं, लेकिन वास्तव में यह आंख की अंदरूनी सतह पर मौजूद होते हैं। यह गहरे धब्बे, लकीरें या डॉट्स जैसे होते हैं।
यह आपके सामने तब आते हैं जब आप कोई उजली वस्तु जैसे सफेद कागज या नीला आसमान देख रहे होते हैं।
इसके कारण आपको कुछ देर के लिए धुंधलापन या देखने में परेशानी हो सकती है, लेकिन आमतौर पर यह आपकी नजर को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
आई फ्लोटर्स या फ्लैशेस के लक्षण/symptoms of eye flashes and floaters
क्योंकि यह धब्बे आंखों के चारों और घूमते रहते हैं इसीलिए इनको फ्लोटर्स कहा जाता है।जब भी आप इन पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करेंगे यह दूर हो जाएंगे।यह अलग-अलग आकार में सामने आते हैं
इनके लक्षणों में प्रमुख है -
1.काले या भूरे रंग के डॉट्स
2.टेढ़ी-मेढ़ी लाइनें
3.धागे के समान गुच्छे और रिंग्स
2.टेढ़ी-मेढ़ी लाइनें
3.धागे के समान गुच्छे और रिंग्स
एक बार जब यह सामने आते हैं तो पूरी तरह से दूर नहीं होते, लेकिन समय के साथ-साथ ही है कम होते चले जाते हैं।
आई फ्लोटर्स या प्लशेेस का उपचार
आई फ्लोटर्स आमतौर पर हानिकारक नहीं होते और इसलिए अधिकतर मामलों में इन्हें उपचार कीआवश्यकता नहीं होती।कुछ आसान उपायों को अपनाकर इन्हें आसानी से कम कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि अपनी आंखों को आराम दें।
अगर आप लंबे समय से कंप्यूटर पर काम कर रहे हैं तो कुछ देर के लिए आंखें बंद करें या पलकों को झपकाए, इससे आंखों को आराम मिलता है।
दूसरी और हथेलियों को रगड़ कर आंखों पर लगाया जा सकता है।
हथेलियों द्वारा पैदा की जाने वाली प्राकृतिक ऊर्जा तनाव को दूर करती है, जिससे आप को काफी राहत महसूस होती है।
आंखों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें, इसके लिए आंखों को गोल-गोल घुमाएं, पहले क्लॉक वाइज और फिर एंटी क्लॉक वाइज।
इसके अलावा आप आंखों की अन्य एक्सरसाइज भी कर सकते हैं।
आंखों की देखभाल के लिए आपको अपना लाइफस्टाइल बदलना होगा।
इसके लिए जरूरी है कि अपने स्क्रीन टाइम को सीमित करें जब जरूरत ना हो तो टीवी कंप्यूटर या मोबाइल पर नहीं लगे रहे। यह सुनिश्चित करें कि आपकी आंखों को पर्याप्त आराम मिले।
इसके लिए अच्छी नींद का होना बहुत आवश्यक है।
आंखों की सेहत के लिए खानपान पर भी ध्यान देना आवश्यक है।
अपने आहार में नियमित रूप से विटामिन ए, विटामिन सी, ओमेगा 3 फैटी एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स हरी पत्तेदार सब्जियों को जरूर शामिल करें।
जहां तक हो सके कैफिन व अल्कोहल से दूरी बनाए रखें। यह आंखों की सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक है।
यूं तो आई फ्लोटर्स बिल्कुल हानिकारक नहीं होते हैं और यह समस्या मुख्य रूप से वयस्कों में देखी जाती है।
हालांकि कभी-कभी किसी चोट या आंखों में सूजन के कारण कम उम्र में भी व्यक्ति को यह समस्या हो सकती है।
इसके लिए किसी तरह के ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है और इसके लिए अलग से मेडिसिन भी नहीं है।
लेकिन जब भी पहली बार आपको यह समस्या हो तो एक बार नेत्र विशेषज्ञ को जरूर दिखाना चाहिए क्योंकि कई बार यह रेटिना की किसी समस्या से भी जुड़े हो सकते हैं।
इन दिनों आई फ्लोटर्स की समस्या ज्यादातर युवाओं में देखने को मिल रही है। अगर किसी यंग व्यक्ति को हाई मायोपिक है या फिर कोई दूर का चश्मा पहनता है तो उसे आई फ्लोटर्स होने की संभावना काफी अधिक होती है।
ज्यादातर मामलों में इनसे किसी तरह की हानि नहीं होती लेकिन फिर भी आपको चेकअप के लिए किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास अवश्य जाना चाहिए।
खास तौर पर अगर फ्लोटर्स अचानक दिखाई देते हैं या फिर वह संख्या में अधिक होते हैं या फिर यह समस्या मधुमेह, उच्च रक्तचाप के रोगी और चोट के बाद शुरू होती है।
ताकि परीक्षण के द्वारा रेटिना की चोट के बारे में पता लगाया जा सके इसलिए आई चेकअप बेहद जरूरी है।
अगर आपको सिर्फ आई फ्लोटर्स हैं तो चिंता करने की कोई बात नहीं है क्योंकि एक समय के बाद यह खुद ब खुद ठीक हो जाते हैं।
आई फ्लोटर्स का उपचार/treatment of eye floaters and flashes
किसी रोग के कारण होने वाले आई फ्लोटर्स का इलाज उस समस्या के इलाज के साथ किया जाता है, कुछ मामलों में यह कोई समस्या पैदा नहीं करते, लेकिन गंभीर मामलों में यह आंखों की हेल्थ को प्रभावित कर सकता हैअगर किसी व्यक्ति को आई फ्लोटर्स के कारण दृष्टि की समस्या हो रही है तो इसके लिए कई इलाज उपलब्ध हैं जिससे इन्हें हटाया या कम नोटिस किया जा सकता है।
विटरेक्टोमी:यह एक प्रकार की सर्जरी होती है जिसमें आई फ्लोटर्स को दृष्टि की लाइन से हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया में आंखों के डॉक्टर विट्रियस में छोटा सा चीरा लगाकर आई फ्लोटर्स को ठीक कर देते हैं।
विट्रियस एक क्लियर जेली जैसा तत्व होता है जो आंखों की शेप को गोल बनाए रखता है। सर्जरी के दौरान डॉ इसे दूसरे सॉल्यूशन से बदल देते हैं इससे आंखों की शेप बनी रहती है। यह सर्जरी फ्लोटर के गंभीर लक्षण होने पर की जाती है।
लेजर थेरेपी द्वारा आई फ्लोटर्स का उपचार
इसमें आई फ्लोटर्स पर लेजर की जाती है जिससे वह टूटकर कम हो जाते हैं।
लेजर के आई फ्लोटर्स पर ठीक से टारगेट ना होने पर रेटिना को दुकान हो सकता है।
हालांकि इस प्रक्रिया को प्राथमिकता नहीं दी जाती है इसे लेने से पहले डॉक्टर से चर्चा जरूर करनी चाहिए।
आंखों की समस्या से बचाव के टिप्स/tips to protect your eye health
20- 20 -20 को फॉलो करें
दिन के समय हमारी आंखें बहुत सारे काम करती हैं। खासकर जो लोग पूरे दिन कंप्यूटर पर काम करते हैं उनको इस रूल का पालन अवश्य करना चाहिए। इस रोल का मतलब होता है कि हर 20 मिनट बाद अपने कंप्यूटर के स्क्रीन को घूमना बंद करें, उसके बाद 20 फीट दूर कम से कम 20 सेकंड के लिए देखना चाहिए।
ऐसा करने से आई फ्लोटेर्स की समस्या से निजात मिलती है और आंखों की रोशनी भी बेहतर होती है।
प्रोटेक्टिव बियर पहने
अगर आप कोई स्पोर्ट्स आदि खेलते हैं या शारीरिक क्रिया करते हैं तो इंजरी से बचाव के लिए चश्मा आदि पहना जा सकता है।इससे आंखों में गंदगी या इंफेक्शन के कारण होने वाले दृष्टि के नुकसान से बचा जा सकता है।
आंखों के स्वास्थ्य के लिए हेल्दी डाइट बहुत जरूरी है।सब्जियों और प्रोटीन में मिलने वाले पोषक तत्व जैसे कि ओमेगा 3 फैटी एसिड काफी कारगर होते हैं।
इसमें मैकुलर डिजनरेशन से बचा जा सकता है।इसके अलावा हरी पत्तेदार सब्जियां सालमन और रस वाले फल को डाइट में शामिल करना चाहिए।
इन फ्रूट्स से न केवल दृष्टि बेहतर होती है बल्कि दृष्टि की समस्या होने वाले डिसऑर्डर भी कम होते हैं।
समय पर आंखों की जांच
कुछ लोग जब तक आंखों की समस्या नोटिस नहीं करते तब तक आंखों की जांच करवाने नहीं जाते हैं। लेकिन हमारी आंखों के लिए जरूरी है कि हर 2 साल में एक बार आंखों के डॉक्टर के पास जाकर जांच करवाएं। ऐसा खासकर 65 से अधिक आयु वाले लोगों के लिए है।
इसके अलावा अगर आपको आंखों के समस्या होने या रिस्क फैक्टर जैसे हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज है तो ऐसे में आंखों की जांच समय पर जरूर करवाएं।
अधिक पानी पिए
मानव शरीर के स्वास्थ्य के लिए पानी बहुत जरूरी होता है।पानी पीने से हमारे शरीर को ना सिर्फ हाइड्रेट रखने बल्कि इससे हमारा शरीर डिटॉक्स भी होता है। शरीर में टॉक्सिक बनने के कारण भी आई फ्लोटर्स हो जाते हैं। पानी का सेवन ज्यादा करने से शरीर बेहतर महसूस होता है। साथ ही इससे आंखों की हेल्थ अच्छी होती है।
3. रेटिनल टियर -विट्रियस के लिक्विड हो जाने पर जेल का सेट रेटिना से बाहर आने लगता है। इसी स्ट्रेस के कारण यह रेटिना को क्लियर कर देता है।
फ्लोोटर्स में कब तुरंत इलाज की जरूरत पड़ती है/when are my floaters an emergency
जब आई फ्लोटर्स ज्यादा दिखने लगे, फ्लोटर्स का साइज और शेर बढ़ने लगे, जब लाइट के फ्लैशेस दिखने लगे, आंखों में दर्द हो या धुंधली दृष्टि हो तब हमें तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है।निम्न कंडीशन के साथ आई फ्लोटर्स ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं
1. विट्रियस डिटैचमेंट - यह रेटीना से धीरे-धीरे होता है, तेजी से होने पर फ्लैश और फ्लोटर्स इसके लक्षण होते हैं।
2. आंखों में रक्त स्राव -यह इंफेक्शन इंजरी या ब्लड वेसल लीक होने से होता है।
4. रेटिनल डिटैचमेंट -जल्दी से उपचार न मिलने पर यह आपसे पूरी तरह से डिटैच हो सकता है जिससे व्यक्ति अंधा हो सकता है।
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