immunity boost kese karen in hindi।इम्यूनिटी बढ़ाने के घरेलू उपाय

इम्यूनिटी बढ़ाएं,रोग भगाएं

इम्यूनिटी बूस्ट कैसे करें?यह सवाल वर्तमान समय में हर किसी के दिमाग में है। अब बच्चा बच्चा यहां तक की सुबह कमाकर शाम को खाने वाला मजदूर जिसे रोटी कमाने से ही फुर्सत नही है,वह भी सुबह शाम तरीके खोजता रहता है की इम्यूनिटी बूस्ट कैसे करें।  
एक समय था की इम्यूनिटी शब्द को कुछ ही लोग जानते थे,शायद मेडिकल प्रोफेशनल्स और विज्ञान के विद्यार्थी।किंतुु इम्यूनिटी शब्द को अब हर कोई जानता है,और उसको समझने की कोशिश भी करने लगा है। कॉविड - 19 महामारी ने इस शब्द को प्रचलित कर दिया है। हर कोई अब ये सोचने लगा है,की इम्यूनिटी बूस्ट कैसे करें(how boost immunity) 

आपको इस पोस्ट में हम बताएंगे की इम्यूनिटी क्या है?,यह कैसे काम करती है?,क्या काम करती है ? ,यह क्यों जरूरी है?किसी जीव के जीवन के लिए इसका क्या महत्त्व है?

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Immunity boost kese karen

What is immunity। इम्यूनिटी क्या है?

इम्यूनिटी शब्द का हिंदी अर्थ है,प्रतिरक्षा।
वास्तव में प्रत्येक जीव के शरीर में प्रत्येक कार्य को करने के लिए पृथक पृथक तंत्र (system)होता है।उन्ही में से से एक तंत्र है, प्रतिरक्षा तंत्र (immunity system) अन्य तंत्र की की भांति यह तंत्र भी विशिष्ट कार्य करता है,इस कार्य को हम प्रतिरक्षा(immunity) कहते है।
इस तंत्र में शामिल घटक मिलकर सामूहिक रूप से किसी जीव के शरीर की बाह्य पदार्थों और सूक्ष्म जीवों,जो की हमारे शरीर को रोगी बनाते है,से सुरक्षा प्रदान करते है।जैसे ही कोई बाहरी पदार्थ्य सूक्ष्मजीव शरीर में पहुंचता है हमारा प्रतिरक्षा तंत्र (immun system)इनको पहचानकर समाप्त करने लगता है।और हमारे शरीर को रोगी होने से बचाता है। प्रतिरक्षा तंत्र (immune system)की रोगों से लड़ने की यह क्षमता ही इम्यूनिटी(immunity)कहलाती है।

इम्यूनिटी के 3 मुख्य प्रकार (3 Types of Immunity)

इम्यूनिटी के तीन मुख्य प्रकार होते हैं, जो किसी भी संक्रमण या बीमारी से हमारे शरीर की रक्षा करते हैं।जैसे-

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इम्यूनिटी के प्रकार


1. एक्टिव इम्यूनिटी (Active Immunity)

हमारे शरीर को एक्टिव इम्यूनिटी तब मिलती है, जब वह किसी संक्रमण या बीमारी के संपर्क में आ जाता है।जब कोई बाहरी तत्व (बैक्टीरिया, वायरस या पैरासाइट) शरीर के अंदर घुसकर स्वस्थ सेल्स को नष्ट करने लगता है, तो हमें जन्म के साथ मिली एंटीबॉडीज व इम्यून सेल्स उस बाहरी तत्व को नष्ट करने लगती हैं। हो सकता है इस बार आपको संक्रमण या बीमारी से ठीक होने में कुछ समय लग जाए, लेकिन अगली बार जब आपका शरीर इसी संक्रमण के संपर्क में आएगा, तो शरीर की इम्यून सेल्स इम्यून मेमोरी (Immune Memory) की सहायता से तुरंत इस संक्रमण को नष्ट कर देंगी। एक्टिव इम्यूनिटी पाने का दूसरा तरीका वैक्सीनेशन (Vaccination Immunity) भी होता है। जिससे शरीर में निश्चित संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं। कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination), खसरा टीका आदि भी इसी प्रकार की एंटीबॉडी का निर्माण करते हैं. एक्टिव इम्यूनिटी ही रोग प्रतिरोधक क्षमता का सबसे मजबूत व ताकतवर प्रकार है, जो सबसे लंबे समय तक चलता है। कुछ मामलों में यह जिंदगीभर फायदा पहुंचा सकता है।

2. इम्यूनिटी के प्रकार- पैसिव इम्यूनिटी (Passive Immunity)

सीडीसी (CDC) के मुताबिक, पैसिव इम्यूनिटी उसको कहा जाता है, जब आपके शरीर को बाहरी मदद से एंटीबॉडीज प्रदान की जाती है।उदाहरण के लिए, एंटीबॉडी युक्त रक्त चढ़ाना, जन्म के समय प्लासेंटा के द्वारा मां से शिशु को एंटीबॉडीज मिलना आदि। पैसिव इम्यूनिटी कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक बनी रह सकती है।लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि शरीर में पैसिव इम्यूनिटी के सहारे एंटीबॉडीज दाखिल होते ही सुरक्षा देना शुरू कर देती हैं। वहीं, इसके विपरीत एक्टिव इम्यूनिटी को बनने में कुछ हफ्तों का समय लग सकता है।

3. हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity)

हर्ड इम्यूनिटी को पोपुलेशन इम्यूनिटी (Population Immunity) या कंम्युनिटी इम्यूनिटी (Community Immunity) भी कहा जाता है। डब्ल्यूएचओ (WHO) के मुताबिक, यह संक्रामक बीमारियों (Infectious Disease) के खिलाफ अप्रत्यक्ष सुरक्षा प्रदान करती है। हालांकि, इसके कारण संक्रमित व मरने वाले व्यक्तियों की संख्या में इजाफा होता है, इसलिए डब्ल्यूएचओ इसकी सलाह नहीं देता है। इसके बजाय डब्ल्यूएचओ वैक्सीनेशन के द्वारा हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity with Vaccination) प्राप्त करने की सलाह देता है, जो कि ज्यादा समय तक चलती भी है और भरोसेमंद भी होती है। जब किसी संक्रमण के कारण किसी समूह, राज्य या देश की अधिकतर जनता (70-80 प्रतिशत) संक्रमित होकर स्वस्थ हो चुकी होती है, तो उसे हर्ड इम्यूनिटी कहा जाता है. चूंकि, वायरस को फैलने के लिए कैरियर (स्वस्थ व्यक्ति) कम या ना के बराबर मिलते हैं, तो बचे हुए 20 से 30 प्रतिशत स्वस्थ लोगों के संक्रमित होने का खतरा कम हो जाता है।

Cells of immune system।इम्मून सिस्टम कैसे काम करता है?

हमारे इम्यून सिस्टम में कई प्रकार की कोशिकाएं होती है जो सामूहिक रूप से रोगों से सुरक्षा करती है,आइए जानते हे इन इम्यून सेल्स के बारे में -

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Immune cells

मोनोसाइट्स(monocytes)-

 ये कोशिकाएं सुरक्षा गार्ड की भांति काम करती हैं और हमारे पूरे शरीर में,सभी अंगों में लगातार रक्त के साथ घूमती  रहती हैं। इनका काम होता है कि अगर शरीर में कहीं कोई रोगजनक(pathogens)मिले तो उसे खाकर खत्म कर दें। रोगकारकों को मारते वक्त ये साइटोकान्स कैमिकल छोड़ती रहती  हैं ताकि दूसरी कोशिकाओं को रोगकारको (pethogens) के बारे में सूचित कर सकें।

मास्ट सेल्स (mast cells)-

  मास्ट सेल्स हमारे शरीर में रक्त प्रवाह को रोगकरको के प्रवेश स्थल की ओर भेजने का काम करती हैं ,ताकि हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानेवाली सेल्स जल्दी से जल्दी और अधिक से अधिक मात्रा में उस जगह आ सकें, जहां रोग कारक मौजूद होते है।

न्यूट्रोफिल्स(neutrophils)-

 शरीर में जिस जगह पर भी रोगाणु होते है, उस जगह सबसे पहले पहुंचनेवाली कोशिकाओं में सबसे ज्यादा संख्या न्यूट्रोफिल्स कोशिकाओं की होतीे हैं।  हमारे शरीर में प्रतिदिन दस हजार करोड़ से भी अधिक न्यूट्रोफिल्स बनती हैं। ये भी पैथोजेन को खाकर खत्म करने का काम करते हैं।

स्नोफिल्स(snophils)- 

ये हमारे शरीर के अंदर प्रवेश करने वाले बड़े परजीवियों(paresites)  को खत्म करने का कार्य करती हैं। जैसे, पेट में होने वाले कीड़े।

बेसोफिल्स(besophils)

ये भी बड़े पैरासाइट्स को मारने का काम करते हैं। साथ ही हिस्टामिन्स कैमिकल छोड़ती हैं, जो अधिक से अधिक इम्यून सेल्स को उस क्षेत्र में बुलाने का कार्य करता है, जहां pethogen मौजूद होते है ।

नेचुरल किलर सेल्स(natural killer cells)-

 ये  किलर सेल्स  संक्रमित हो चुकी कोशिकाओं को खत्म करने का काम करते हैं। ताकि अन्य सेल्स में संक्रमण ना फैले।

डैंड्राइटिक सेल्स(dendrites cells)-

 यह कोशिकाएं इनेट और अडेप्टिव इम्युनिटी के बीच सेतु और संदेशवाहक की तरह काम करती हैं। ये रोगकारकों को पहचानने में इम्यून सेल्स की मदद करती हैं।

बी सेल्स(B-cells)-

बी सेल्स के ऊपर असंख्य रिसेप्टर्स होते हैं, जो रोगाणु को पहचानने का काम करते हैं। साथ ही बी-सेल्स के ऊपर कुछ ऐंटिबॉडीज भी होती हैं, जो रोगाणु की ऊपरी सतह पर मौजूद प्रोटीन के साथ चिपकर उस पैथोजेन को पहचानने का काम करती है।

जैसे ही एंटीबॉडी रोगकारक की पहचान कर लेती है। वैसे ही बी-सेल विभाजित होकर मैमरी बी-सेल या प्लाज्मा सेल का निर्माण करता है।  जब  कभी भविष्य में इसी प्रकार का रोगकाराक शरीर में प्रवेश करता है तो मेमोरी बी कोशिकाएं ही उसे पहचानने का काम करती हैं।

साथ ही प्लाज्मा सेल फ्री ऐंटिबॉडीज ना बनाने लगता है, जो ब्लड के साथ पूरे शरीरमें पहुंचने लगती हैं ताकि अगर वायरस शरीर के किसी और हिस्से में भी हो तो उसे पहचाकर मारा जा सके।
मुख्य बी-सेल , जिसने मेमरी बी-सेल और प्लाज्मा का निर्माण किया था, वो इन दोनों के साथ ही साइटोकाइन्स बनाने का काम करता है।
साइटोकाइन्स एक तरह के केमिकल्स होते हैं, जो हमारी इम्युनिटी सेल्स को
सूचित और ऐक्टिवेट करने का काम करते हैं। साथ ही शरीर में जिस जगह पर वायरस होता है, वहां इम्यून सेल्स को बुलाने का काम करते हैं।

टी-सेल्स (T-cells)-

टी-सेल मुख्य रूप से तीन तरह के होते हैं। इनमें हेल्पर टी-सेल, साइटोटॉक्सिक टी सेल्स और एक होते हैं रेग्युलेट्री टी-सेल्स। इनमें से हेल्पर टी सेल्स, साइकोटॉक्सिक टी-सेल्स, बी-सेल्स और अन्य इम्यून सेल्स को ऐक्टिवेट करने का काम करते हैं।
A-साइटोटॉक्सिक टी सेल्स:
ये पैथोजेन को हटाने में मदद करती हैं। ये  हमारे शरीर की जो भी कोशिका वायरस से इंफेक्टेड हो जाती है, उसे खत्म कर देते हैं। ताकि अन्य सेल्स को बचाया जा सके।

B-रेग्युलेट्री टी-सेल्स:
ये शरीर को कोशिकाओं और पैथोजेन के बीच फर्क को पहचानने का कार्य करती हैं। ताकि ऑटोइम्यून डिसऑर्डर से बचा जा सके। यानी अपने शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता अपने शरीर की कोशिकाओं को मारने का काम ना करने लगे।
एक बार जब किसी कोशिका में संक्रमण हो जाता है तो वह दूसरी कोशिकाओं को बचाने के लिए कीमोकाइन्स (Chemokines)का स्त्राव करती है। ताकि दूसरी कोशिकाओं को पता चल सके कि पैथोजेन ने आक्रमण किया है।

immunity boost kese karen in hindi।इम्यूनिटी केसे बढ़ाए?

इम्यूनिटी बड़ाने के लिए पोषक पदार्थों का सेवन,योग प्राणायाम आदि करने होते हैं।आइए जानते हैं कि इम्यूनिटी केसे बढ़ाए ताकि शरीर रोगों से लड़ से और स्वस्थ रहे।

Immunity booster food।इम्यूनिटी बड़ाने के लिए ऐसी रखे भोजन की दिनचर्या

इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण हम जल्दी बीमारी के लपेटे में आ जाते हैं।  इसलिए बीमारी से बचने का सबसे बेहतर तरीका है कि हम बचाव तो रखें ही, साथ ही अपने शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए भी कोशिश करते रहे ।  आपकी सुबह से लेकर शाम तक का डाइट प्लान आपकी, इम्यूनिटी बढ़ानेऔर शरीर को स्वस्थ रखने में काफी मददगार साबित हो सकता है। रिसर्च के मुताबिक लोगों को चाहिए कि वे अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को बेहतर बनाएं। रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होगी, तो कई बड़ी बीमारियों और इंफेक्शंस से भी शरीर खुद-ब-खुद अपना बचाव कर लेगा।   इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए खाने में  दूध, दही, दालें, बीन्स, पनीर सत्तू , संतरे, आवंले, हरी मिर्ची, और फल को  शामिल करें।
सुबह का नाश्ता
सुबह उठते ही करें इस ड्रिंक का सेवन
करने से इम्यूनिटी बूस्ट होती हैं। हमें सबसे पहले सुबह उठते ही गर्म पानी में नींबू का रस, हल्दी, चिया के बीच, दालचीनी मिलाकर पीएं। हल्दी और दालचीनी इंफेक्शन से लड़ने में शरीर की मदद करती हैं। नाश्ते में हल्का और पौष्टिक आहार लेना चाहिए. जो की इडली, पोहा, उपमा, ओट्स आदि हो सकता है. लेकिन नाश्ते में एक चम्मच घी डालकर खाएं. इससे पाचन तंत्र ठीक रहेगा और पेट में गैस और एसिडिटी की समस्या भी नहीं होगी।

दोपहर के लंच में ये खाए
दोपहर के लंच में ऐसी सब्जियों का सेवन करें, जो पचने में आसान हों इसलिए लंच में दाल चावल, चपाती सब्जी खा सकते हैं. हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन ज्यादा फायदेमंद है. खासकर पालक खाने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है। साथ ही लंच में एक गिलास छाछ और दही भी खाएं। ये खाने को पचाने में मददगार होती है.

रात के डिनर को रखें हल्का
रात के समय डिनर को जितना हो सके हल्का रखें. डिनर में एक चपाती और सब्जी या दाल, सूप आदि का सेवन किया जा सकता है. सबसे खास बात ये है कि रात को सोते समय एक गिलास दूध में हल्दी डालकर पीना इम्यूनिटी के लिए बेहतर होता है।

Immunity booster fruits।इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए ये फल है लाभदायक

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Fruits for immunity

बारिश के मौसम में बीमारियां और इंफेक्शन से सावधान रहें। मानसून में हमारी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है. ऐसे में आपको अपनी डाइट में कुछ ऐसी चीजों को शामिल करना जरूरी है, जिससे आपको रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में मदद मिले। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सही खान-पान और विटामिन सी से भरपूर भोजन बहुत जरूरी है. विटामिन सी से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और आप स्वस्थ रहते हैं. आज हम आपको बेहद सस्ते और विटामिन सी से भरपूर फलों के बारे में बता रहे हैं. आप इन्हें आसानी से अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं.

आम- 

स्वाद से भरपूर आम इम्यूनिटी बढ़ाने का काम भी करता है. आम से करीब 122 मिलीग्राम विटामिन सी मिलता है. आम में विटामिन ए भी काफी मात्रा पाया जाता है।जो आंखों की रोशनी के लिए अच्छा है।

अमरूद-

 विटामिन सी से भरपूर बहुत ही सस्ता और पौष्टिक फल है। अमरूद में संतरे से भी ज्यादा विटामिन सी होता है। इससे आपकी इम्यूनिटी मजबूत होती है। एक  अमरूद में 200 मिलीग्राम पोषक तत्व होते हैं।

पपीता- 

पपीता पाचन के लिए सबसे अच्छा फल है।इसके अलावा पपीता में विटामिन सी भी काफी मात्रा में पाया जाता है। पपीता खाने से रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। एक कप पपीता में आपको 88 मिलीग्राम पोषक तत्व मिलते हैं.

स्ट्रॉबेरी-

 स्ट्रॉबेरी में भी काफी विटामिन सी पाया जाता है। स्ट्रॉबेरीज में एंटीऑक्सिडेंट गुण और कई दूसरे पोषक तत्व पाए जाते हैं।अगर आप एक कप स्ट्रॉबेरी खाते हैं तो इससे आपके शरीर को 100 मिलीग्राम विटामिन सी मिलता है।

कीवी- 

विटामिन सी से भरपूर एक कीवी में करीब 85 मिलीग्राम विटामिन सी होता है. कीवी में विटामिन k और Eभी काफी मात्रा में होता है।एक कीवी कई और पोषक तत्वों से भी भरपूर है जो आपके स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है।

Immunity booster dry fruits।ड्राई फ्रूट्स भी इम्यूनिटी के लिए जरूरी है

आइए जानते हैं कि सर्दियों में कौन से सूखे मेवे खाने की सलाह दी जाती है –
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Dry fruits for immunity

काजू: 

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पर्याप्त नींद लेना जरूरी है। नींद की कमी और ज्यादा तनाव लेने से इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। ऐसे में काजू का सेवन फायदेमंद होता है। माना जाता है कि चिंता, तनाव, बेचैनी और अवसाद को दूर रखने में काजू कारगर है। इतना ही नहीं, जिन लोगों को कम नींद आती है, उन्हें भी डॉक्टर्स काजू खाने की सलाह देते हैं।

खजूर:

 विंटर फूड्स में सबसे अहम नाम खजूर का होता है। चिकित्सक उन लोगों को अपनी डाइट में खजूर खाने की सलाह देते हैं, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। इम्यूनिटी के अलावा भी खजूर खाने के अनेक फायदे हैं।पोषक तत्वों से भरपूर खजूर के सेवन से इम्युनिटी बूस्ट करने में मदद मिलती है। यही कारण है कि विशेषज्ञ नियमित रूप से रोजाना खजूर खाने को बोलते हैं।

बादाम:

 विटामिन-डी की कमी से भी इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। खबरों के अनुसार शहर में रहने वाले 80 से 90 प्रतिशत लोगों में  विटामिनD की कमी होती है। बादाम में विटामिन Dभरपूर मात्रा में मौजूद होता है।जो न केवल इम्युनिटी बढ़ाने में उपयोगीें बल्कि इसके सेवन से हड्डियां भी मजबूत होती हैं। विटामिन-Dकी कमी से भी इम्युनिटी कमजोर हो जाती है।शहर में रहने वाले 80 से 90 प्रतिशत लोगों में  विटामिन Dकी कमी होती है। बादाम में विटामिन Dभरपूर मात्रा में मौजूद होता है। इसमें विटामिन-Eभी प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है जो रोगों से लड़ने में सहायक भूमिका निभाता है। ये वायरस और बैक्टीरिया के प्रभावों को कम करता है।

किशमिश:

 एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर किशमिश शरीर को संक्रमण से दूर रखने में मददगार है। साथ ही, किशमिश में विटामिन सी और बी प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है।

Immunity booster yoga।ये योग करे रोजाना बीमारियां भागेगी कोसों दूर

बीमारियों बचने के लिए इम्यूनिटी को बढ़ाना बहुत जरूरी है। योग की मदद से इम्यूनिटी को बढ़ाया जा सकता है। रोजाना योग करने से शरीर स्वस्थ रहता है और बीमारियां कोसों दूर। आज हम आपको कुछ योगासान के बारे में बताएंगे जिनको करने से आप स्वस्थ रहेंगे और आपका इम्यून सिस्टम मजबूत होगा।  आप रोजाना योग करने से भी इम्यून सिस्टम को मजबूत बना सकते हैं। आइए जानते हैं रोजाना किन योगासन का अभ्यास करने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है...

भुजंगासन

भुजंगासन का अभ्यास करना काफी आसान है। इस योगासान को क्रोबा पोज भी कहा जाता है। 
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इम्यूनिटी के लिए भुजंगासन

भुजंगासन कैसे करें.

आपको भुजंगासन करने के लिए पेट के बल लेट जाना है। उसके बाद अपने हाथों को सामने की तरफ रखें।अब धीरे- धीरे सांस लेते हुए अपने हाथों को अपने चेस्ट के पास में ले आएं।अब हाथों पर जोर दें और कमर के ऊपरी हिस्से को सांप के फन की तरह उठाएं। इस बात का ध्यान रखें कि कमर के नीचे का हिस्सा जमीन पर ही रहे।इस दौरान सामान्य रूप से सांस लेते रहें और थोड़ी देर तक इसी अवस्था में रहें।अब आपने धीरे- धीरे सांस छोड़नी है और वापस सामान्य मुद्रा में आ जाना है।आप इस योगासन का अभ्यास दिन में दो बार 10 से 15 मिनट के लिए कर सकते हैं।

सेतु बंधासन

सेतु बंधासन को ब्रिज पोज के नाम से भी जाना जाता है। एक शोध के अनुसार नियमित रूप से सेतु बंधासन का अभ्यास करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। 
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सेतु बंधासन कैसे करें

इस आसन को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं।इसके बाद अपने हाथों को पैरों के समांतर रखें।अब आपने अपने घुटनों को मोड़ना है।अब धीरे- धीरे सांस लेते हुए अपनी पीठ के निचले हिस्से को धीरे- धीरे ऊपर की तरफ उठाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपके सिर और कंधे का हिस्सा जमीन से सटा रहना चाहिए।थोड़ी देर इसी अवस्था में रहें फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए वापस सामान्य पोजीशन में आ जाएं।आप इस योगासान का अभ्यास नियमित रूप से 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं।

बालासन

बालासन का अभ्यास करना काफी आसान है। योग एक्सपर्ट के अनुसार इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए इस योगासान का नियमित रूप से अभ्यास करना चाहिए। 
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इम्यूनिटी के लिए बालासन

बालासन कैसे करें

सबसे पहले वज्रासन की अवस्था में बैठ जाएं।अब सांस लेते हुए शरीर के अगले हिस्से को आगे ले जाने का प्रयास करें।आपने शरीर के अगले हिस्से को जमीन पर टच कराने का प्रयास करना है।इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपके हाथ  पीछे की तरफ रहने चाहिए।कुछ देर इस अवस्था में रहने के बाद सांस छोड़ते हुए धीरे- धीरे वज्रासन की अवस्था में वापस आ जाएं।

हलासन

हलासन का अभ्यास करना थोड़ा मुश्किल होता है, परंतु कुछ दिनों के अभ्यास के बाद आप अच्छे से इस योगासान को करने लगेंगे।
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हलासन कैसे करें

हलासन का अभ्यास करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं।अब धीरे- धीरे सांस लें और अपने पैरों को 90 डिग्री तक ले जाएं।शुरुआत में आपको पीठ को हाथों का सहारा देना होगा।इसके बाद अपने पैरों को पीछे की तरफ ले जाएं।इस बात का ध्यान रखें कि शरीर का संतुलन न बिगड़े।इसके बाद अपने पैरों के पंजे को पीछे की तरफ ले जाएं और  जमीन से टच करा दें।इस दौरान सामान्य रूप से सांस लेते रहें।इसके बाद अपने हाथों को वापस आगे की तरफ जमीन से चिपका दें।कुछ देर तक इस अवस्था में रहें, फिर धीरे- धीरे अपने पैरों को वापस 90 डिग्री पर लेकर जाएं।इसके बाद धीरे- धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।इस योग मुद्रा का अभ्यास 7 से 10 मिनट तक किया जा सकता है।आशा है आपको अब समझ आ गया होगा की इम्यूनिटी बूस्ट कैसे करें?इम्यूनिटी क्या है?इनउपायों को अपनाकर आप अपनी immunity boost karसकते है और अपने को सदा सुखी और स्वस्थ बनाए रखने में सफल हो सकते हैं।

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