खर्राटे क्यों आते हैं?, sleep apnea तो नही।

 खर्राटे क्यों आते है?(kharate kyu aate hai )

खर्राटे( kharate kyu aate hai ) कई कारणों के एक साथ जुड़ने से आते हैं, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं। खर्राटों( kharate) के सबसे सामान्य कारणों में वजन ज़्यादा होना, पीठ के बल सोना, मुंह खोलकर सोना, धूम्रपान और शराब का सेवन, बंद नाक आदि शामिल हैं।


हमारे मुंह और गले में कई प्रकार की संरचनाएं होती है। जैसे जुबान, टॉन्सिल्स,एडिनॉयड्स तालु आदि।इन संरचनाओं की अनियमितता से रात को श्वास नली में रुकावट आती है और खर्राटे (kharate) आने लगते हैं।
यदि आपको भी रात्रि को खर्राटे (kharate)आते है तो यह एक श्वशन संबंधी रोग स्लीप एपनिया(sleep apnea) का संकेत हो सकता है।इसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया कहा जाता है।

रात्रि को आते हैं खर्राटे, स्लीप एपनिया(sleep apnea) तो नहीरात्रि को आते हैं खर्राटे, स्लीप एपनिया(sleep apnea) तो नही,kharr
रात्रि को आते हैं खर्राटे, स्लीप एपनिया(sleep apnea) तो नही

 मोटे लोगों में इन संरचनाओं का आकार वसा जमने से बढ़ जाता है। जब इस तरह के व्यक्ति रात में सोते हैं तो मुंह के चारों ओर की मांसपेशियां शिथिल पड़ जाती है और यह संरचनाएं पास पास आ जाती है। जिससे धीरे-धीरे खर्राटों के साथ श्वांस प्रक्रिया अवरुद्ध होने लगती है। जैसे जैसे रोगी नींद में जाता है,श्वास नली पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाती है।इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ने लगता है। इस प्रक्रिया के तहत मस्तिष्क रोगी को नींद से उठने का संकेत देता है, जिससे रोगी घबराकर उठ बैठता है,और श्वास नली पुनः खुल जाती है। और श्वास प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है।

रोगी फिर से नींद की ओर अग्रसर होता है। और पुनः खर्राटों और श्वांस बंद होने की प्रक्रिया चालू हो जाती है और यह प्रक्रिया रात में कई बार दोहराई जाती है। जिससे रोगी पूरी नींद नहीं ले पाता और रात में रोगी को नींद लेना बुरा सपना बन जाता है। रात में पूरी नींद नहीं आने के कारण रोगी दिन में सोने लगता है। अपने कार्यस्थल पर झपकी आने लगती है। रात्रि को शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड जमने के कारण सवेरे सवेरे सिर में दर्द बना रहता है।

जानलेवा हो सकता है स्लीप एपनिया (sleep apnea)

अगर हमारी स्वास प्रक्रिया 10 सेकंड के लिए अवरुद्ध हो तो उसे एपनिया कहते हैं। यदि यह एपनिया नींद में हो तो इसे स्लीप एपनिया कहते हैं।

स्लीप एपनिया(sleep apnea) एक भयावह रोग है। जागृत अवस्था में व्यक्ति विशेष सामान्य होता है। परंतु नींद में यह रोग प्रतिकूल असर डालता है। क्योंकि यह रोग नींद में अपने लक्षण दिखाता है अतः इस रोग से रोगी व चिकित्सक दोनों ही अनजान बने रहते हैं। और धीरे-धीरे रोग की भयावहता बढ़ती जाती है।

स्लीप एपनिया के लक्षण(symptoms of sleep apnea)

सामान्य तौर पर स्लीप एपनिया क्योंकि नींद के दौरान होने वाली समस्या है अतः लक्षण आसानी से पहचानने योग्य नहीं होते किंतु निम्न कुछ लक्षण है जिसके द्वारा आप इस रोग का अनुमान लगा सकते हैं -

1. अगर आप खर्राटे लेते हैं और रात में बार-बार नींद खुलती हो तो सावधान हो जाइए।ये खर्राटे जानलेवा हो सकते है।

2. रात्रि के समय बार बार पेशाब जाना पड़े और स्वास में रुकावट हो तो स्लीप एपनिया की संभावना है।

3. रात्रि के समय अचानक नींद खुल जाए या घबराकर नींद खुले और ऐसा बार-बार हो तो संभव है आप स्लीप एपनिया से ग्रसित हैं।

4. क्योंकि इस रोग में रात्रि को बार-बार नींद खुलती है इसलिए आप स्वस्थ नींद नहीं ले सकते जिसके कारण दिन के समय बैठे-बैठे ही नींद आने लगती है।

यदि आप इन लक्षणों को महसूस करते हैं तो तुरंत श्वांस रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। वह कुछ टेस्ट के जरिए आपको इस रोग के बारे में सटीक जानकारी देकर सचेत कर सकते हैं।

स्लीप एपनिया रोग के निदान (diagnosis of sleep apnea)

इस रोग के निदान के लिए रोगी के रात्रि को सोते समय कई अध्ययन किए जाते हैं जिसे स्लीप स्टडी कहते हैं।

EEG-इस जांच के द्वारा डॉक्टर रोगी के नींद के चक्रों का पता लगाता है।

EMG -यह जांच नींद के दौरान मांसपेशियों की क्रियाशीलता एवं स्थिति के बारे में जानकारी देती है।

ECG -इस जांच के द्वारा नींद के दौरान हृदय की गति सामान्य है अथवा नहीं या फिर उसमें कोई असामान्य परिवर्तन हो रहे हैं इन सब बदलाव की जानकारी मिलती है।

Respiratory efforts-इस जांच के द्वारा नींद में हुई श्वास की गति में बदलाव के बारे में पता चलता है।

Pulse oximetry-इसके द्वारा नींद के दौरान ऑक्सीजन की कमी का पता लगता है इसके अलावा कई अन्य जांचे भी इस अध्ययन में सम्मिलित होती हैं जो कि इस रोग के निदान के लिए अत्यंत आवश्यक है।

स्लीप एपनिया रोग के दुष्प्रभाव(effect of sleep apnea)

स्लीप एपनिया की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की यह रोग गंभीर अवस्था में पहुंचने के बाद विभिन्न प्रकार के शारीरिक अनियमितताओं को जन्म देता है जैसे अनियमित रक्तचाप, अनियमित मधुमेह,  हृदयाघात ,पक्षाघात (लकवा) मानसिक अवसाद, श्वांस भरना आदि। यह अनियमितताएं जब जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है तो रोगी की मृत्यु तक हो जाती है। नीचे स्लीप एपनिया से होने वाली है कुछ दुष्प्रभाव के बारे में बताया गया है:

1. स्लीप एपनिया मानसिक रोगों का कारण बनता है

हमारा मानसिक स्वास्थ्य REM स्लीप यानी सपनों की नींद पर बहुत ज्यादा निर्भर रहता है स्लीप एपनिया इस अवस्था में बढ़ जाता है और शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और रोगी सो नहीं पाता और नींद की यह अवस्था पूरी नहीं हो पाती। इससे कई प्रकार के मानसिक विकार जैसे अवसाद, चिड़चिड़ापन याददाश्त में कमी आना, संज्ञानात्मक गणना में विकार आना उत्पन्न हो जाते हैं।

प्रायः यह देखा गया है कि मानसिक रोगी जिन्हें बाइपोलर डिसऑर्डर है उनमें खर्राटों की बीमारी की संभावना 20 से 50% तक होती है। उसके अलावा विखंडित मानसिकता से ग्रसित लोगों में अगर खर्राटे हैं तो उनमें स्लीप एपनिया की बीमारी हो सकती है। प्रायः यह देखा गया है कि अगर स्लीप एपनिया का इलाज इन रोगियों में किया जाए तो मानसिकता में सुधार आ जाता है। कई बार यह भी देखने को मिलता है कि रोगी उपरोक्त बीमारी की गोली दवा ले ले तो स्लीप एपनिया बढ़ जाता है और कई विकारों को जन्म देता है।

2. स्लीप एपनिया नपुंसकता का कारण बन सकता है

स्लीप एपनिया से ग्रसित व्यक्ति मानसिक विकारों से ग्रस्त होते हैं इसके कारण इस रोग से पीड़ित लगभग 60% पुरुष यौन संबंध बनाने और यौन क्रिया के प्रति इच्छा में कमी से ग्रसित होते हैं जो धीरे-धीरे उन्हें नपुंसकता की ओर धकेल देता है ।अगर स्लीप एपनिया का सही से इलाज ले लिया जाए तो इस अवस्था में सुधार लाया जा सकता है।

एक रिसर्च से पता चलता है कि यह बीमारी शुक्राणुओं पर बुरा असर डालती है और धीरे-धीरे पुरुष की प्रजनन क्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है।

3. स्लीप एपनिया मधुमेह को जन्म देता है

रिसर्च में स्लीप एपनिया और मधुमेह का सीधा संबंध पाया गया है। रिसर्च से पता चला है कि 70 परसेंट मधुमेह के रोगी खर्राटों से या स्लीप एपनिया से पीड़ित होते हैं। साथ ही यह भी जानकारी मिली है कि जिन्हें स्लीप एपनिया मधुमेह है उन्हें 4 साल के अंदर अंधेपन का  खतरा बढ़ जाता है। यदि खर्राटों और स्लीप एपनिया को नियंत्रित नहीं किया जाए तो दवा के द्वारा भी शुगर कंट्रोल में नहीं लाया जा सकता फलस्वरूप मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए अत्यधिक मात्रा में इंसुलिन देना पड़ता है।

4. स्लीप एपनिया ब्लड प्रेशर को भी अनियंत्रित करता है

मधुमेह की भांति स्लीप एपनिया और ब्लड प्रेशर का भी सीधा संबंध होता है। तथ्य से पता चला है कि 30 से 50% ब्लड प्रेशर के रोगी को स्लीप एपनिया की बीमारी साथ में होती है। प्रायः प्रत्येक व्यक्ति का ब्लड प्रेशर सोते समय थोड़ा सा गिरता है और हृदय रोग होने की संभावना कम करता है परंतु जिन लोगों को नींद में खर्राटे आते हैं या स्लीप एपनिया की बीमारी है उनका ब्लड प्रेशर सोते समय नहीं गिरता है इस कारण इन रोगियों में हृदयाघात व लकवा होने की संभावना बढ़ जाती है।कई बार यह भी देखा गया है कि ब्लड प्रेशर का मरीज अगर खर्राटे लेता है,तो उसका ब्लड प्रेशर दवा लेने के बाद भी नियंत्रित नहीं होता है। अगर ऐसे रोगी का खर्राटों का इलाज किया जाए तो ब्लड प्रेशर नियंत्रित किया जा सकता है और हृदय रोग की संभावनाओं को भी कम किया जा सकता है। जो रोगी ब्लड प्रेशर की दवा दो गोली से ज्यादा ले रहा है तो उसे अपने स्लीप एपनिया की स्टडी जरूर करानी चाहिए।

5. स्लीप एपनिया के कारण हो सकती है अकाल मृत्यु

स्लीप एपनिया की बीमारी के दौरान रात्रि के समय नींद में व्यक्ति को श्वास प्रणाली अवरुद्ध होती है जिसके कारण रोगी का ऑक्सीजन लेवल गिरता है। अगर रोगी का ऑक्सीजन लेवल 78% से नीचे जाए और सांस रुकने की प्रक्रिया 2 घंटे से ज्यादा हो तो मृत्यु होने की संभावना 60% तक बढ़ जाती है। सामान्य व्यक्ति में यह अक्सीजन का लेवल 95% से ऊपर और सांस रुकने की प्रक्रिया 5 घंटे से कम होती है।

6. स्लीप एपनिया लकवा अथवा पक्षाघात की संभावना को बढ़ाता है

स्लीप एपनिया के रोगी में लकवा होने की संभावना सामान्य से 70% तक बढ़ जाती है जो कि रात को सोते समय अचानक हृदय गति के अनियमित होने से अनियंत्रित ब्लड प्रेशर व अन्य रक्त व रक्त वाहिका में बदलाव के कारण होता है। अगर ऐसे रोगियों के स्लीप एपनिया का इलाज किया जाए तो स्ट्रोक का खतरा लकवे में सुधार जल्दी होता है।








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