हड्डियों की कमजोरी का इलाज, बुढ़ापे में

 

वृद्धा अवस्था में हड्डियों की देखभाल

Cure of bones in old age: वृद्धावस्था में हड्डियों की कमजोरी एक आम समस्या होती है। इस समस्या की वजह बुजुर्गों में सामान्यतः ओस्टियोपेनिया, ओस्टियोपोरोसिस आर्थराइटिस इत्यादि होती है। वृद्धा अवस्था में सही जीवन शैली ना होने और विटामिन डी की कमी से धीरे धीरे हड्डियां कमजोर होने लगती है।



वृद्धावस्था में हड्डियों की कमजोरी,ऐसे रखें ख्याल,बढ़ती उम्र में हड्डियों की देखभाल,बुजुर्गों में हड्डियों की देखभाल के उपाय,ओल्ड एज में बोन डेंसिटी को बनाए रखने के उपाय
वृद्धावस्था में हड्डियों की कमजोरी,ऐसे रखें ख्याल

बढ़ती हुई उम्र अक्सर बुजुर्गों के लिए कई प्रकार की समस्याएं लेकर के आती है। शारीरिक कमजोरी के कारण बुढ़ापे में,घुटने का दर्द, फिसल कर गिरने की आशंका अधिक रहती है। बोन डेंसिटी कम होने के कारण फ्रैक्चर अधिक होते हैं। युवा अवस्था की तुलना में वृद्धा अवस्था में हीलिंग देरी से होती है। सामान्य रूप से हड्डियों की हीलिंग प्रक्रिया में 6 सप्ताह का समय लगता है,किंतु वृद्धावस्था में यह समय 8 सप्ताह से लेकर 6 माह तक भी हो सकता है।
महिलाओं में हड्डियों में कमजोरी 45 से 55 वर्ष के बीच मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी होने से आती है। जबकि वृद्ध पुरुषों में हड्डियों में कमजोरी 65 वर्ष के बाद देखी जाती है। लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठकर काम करने से पुरुषों में गर्दन और महिलाओं में कमर दर्द की शिकायत एक आम समस्या है।

वृद्धावस्था में हड्डियों की कमजोरी से बचने के उपाय

वैसे तो बढ़ती उम्र में कई स्वास्थ्य समस्याएं होती है,जिनको नियंत्रण में रखना आसान नहीं होता है,किंतु कुछ ऐसे तरीके हैं जिन को ध्यान में रखकर हम हड्डियों की कमजोरी का इलाज कर सकते हैं-

विटामिन डी की पूर्ति अवश्य करें

वर्तमान समय में इस प्रकार की जीवन शैली हो गई है की व्यक्ति चाहे बुजुर्ग हो अथवा युवा अथवा बच्चे सभी का अधिकांश समय बंद कमरे में अथवा ऑफिस में गुजरता है। जिसके कारण पर्याप्त मात्रा में धूप नहीं मिल पाती और शरीर के विटामिन डी की पूर्ति नहीं हो पाती। क्योंकि सूर्य की रोशनी ही एकमात्र ऐसा स्रोत है जो हमारे शरीर की विटामिन डी की आवश्यकता की पूर्ति करता है। विटामिन डी हमारी हड्डियों की मजबूती के लिए अत्यंत आवश्यक है,क्योंकि हमारी हड्डियां कैल्शियम की बनी हुई होती है तथा कैल्शियम के अवशोषण के लिए विटामिन डी की पूर्ति करना आवश्यक है।

भोजन में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन ले

दालें,बींस जैसे कि राजमा और सोयाबीन, दूध इत्यादि प्रोटीन के अच्छे स्रोत होते हैं। बुजुर्गों को इन्हें अपने भोजन में पर्याप्त मात्रा में शामिल करना चाहिए। शाकाहारी भोजन में उपस्थित दूध प्रोटीन और कैल्शियम की पूर्ति करता है। दूध से बने उत्पाद भी कैल्शियम और प्रोटीन के अच्छे स्रोत होते हैं।

शारीरिक एक्टिविटी से दूर होती हड्डियों की कमजोरी

वृद्धा अवस्था में हड्डियों की कमजोरी का इलाज में सामान्य शारीरिक एक्टिविटी की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कई बार एक ही जगह बैठे रहने से जोड़ों में अकड़न हो जाती है, इसलिए नियमित रूप से हल्की फिजिकल एक्टिविटीज करते रहें। सुबह और शाम के वक्त हल्के व्यायाम बुजुर्गों की मांसपेशियों को पर्याप्त ताकत प्रदान करते हैं जो हड्डियों के मूवमेंट में सहायक होते हैं।

रात को खाने के बाद जरूर टहले

बढ़ती उम्र में रात को खाने के बाद टहलने से कई प्रकार की सकारात्मक शारीरिक परिवर्तन होते हैं। कुछ देर टहलने से शरीर के सभी अंगों को ऊर्जा प्राप्त होती है। सुबह के समय भी मॉर्निंग वॉक की आदत डालें। योग और प्राणायाम संपूर्ण शरीर को स्वास्थ्य और ऊर्जावान बनाने में मदद करते हैं।

वृद्धा अवस्था में बोन डेंसिटी टेस्ट जरूर कराएं

क्योंकि हड्डियों से संबंधित समस्याएं वृद्धावस्था में अधिक देखी जाती हैं इसलिए बढ़ती उम्र में बोन डेंसिटी टेस्ट अवश्य करवाना चाहिए। महिलाओं में ओस्टियोपोरोसिस साइलेंट बीमारी है जिसका पता कई बार चोट लगने पर लगता है।इसलिए अपना रूटीन चेकअप और बोन डेंसिटी टेस्ट जरूर करवाएं।

वजन नियंत्रण भी जरूरी है बढ़ती उम्र में

वृद्धावस्था में अपने बीएमआई पर नजर बनाकर रखनी चाहिए। आदर्श रूप से बॉडी मास इंडेक्स 25 से अधिक नहीं हो। 25 से 30 के बीच बॉडी मास इंडेक्स ओवरवेट, जबकि 30 से अधिक ओबेसिटी की श्रेणी में आता है। वृद्धा अवस्था में ज्यादा वजन परेशानी का कारण बन सकता है। एक कागज पर अपने पूरे दिन की हेल्दी डाइट लिखें। इस डाइट में हर चीज से एक चौथाई भाग कम कर दें। कोशिश करें कि आहार में एक कटोरी दाल अंकुरित अनाज और एक गिलास दूध व अन्य डेयरी प्रोडक्ट जरूर लें।
यह कुछ सावधानियां या उपाय है जो वृद्धावस्था में अथवा बढ़ती उम्र में आपको हड्डियों की कमजोरी से बचाने में सहायता करेंगे। वृद्धावस्था में किसी भी स्वास्थ्य समस्या से उत्पन्न होने से पहले ही उसका निदान कर लेना समझदारी होगी। बुजुर्ग अवस्था में हड्डियों की कमजोरी एक ऐसी समस्या है, जो आप को बिस्तर पकड़ने पर मजबूर कर सकती है और आपका आने वाला जीवन कठिन से कठिनतर हो सकता है।

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