पांच योगासन जो वरिष्ठ नागरिकों को रखते है स्वस्थ

योगासन, वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, उससे शरीर की ताकत और क्षमता क्षीण होने लगती है। जोड़ हो या फिर आंतरिक अंग। इनकी शक्ति को बनाए रखने में योग एक अच्छा माध्यम बन सकता है। हल्के तरीके से यदि  व्यायाम किए जाएं तो इसका फायदा पूरे शरीर को मिलता है।

 लोगों में यह भ्रम है कि वरिष्ठ नागरिकों को  व्यायाम से बचना चाहिए क्योंकि इससे शरीर को क्षति होने की आशंका है, किंतु वास्तविकता यह है कि हर उम्र के व्यक्तियों के लिए सरल से लेकर कठिन तक व्यायाम या आसन होते हैं। यहां हम पांच ऐसे आसनों के बारे में बता रहे हैं जो करने में सरल है और वरिष्ठ नागरिकों को स्वस्थ रखने में अत्यंत सहायक है -

अर्ध मत्स्येंद्रासन

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पांच योगासन जो वरिष्ठ नागरिकों को रखते है स्वस्थ

अर्धमत्स्येंद्रासन करने का तरीका

अर्धमत्स्येंद्रासन करने का तरीका यह है कि सबसे पहले जमीन पर पांव को फैला कर बैठ जाएं, अब हथेलियों को जमीन पर टिका दें। हथेलियों पर जोर देते हुए श्वास भरकर रीड की हड्डी को बिल्कुल सीधा करें।

बाएं पैर को मोड़ कर दाएं घुटने के ऊपर से ले जाकर विपरीत दिशा में जमीन पर टिका दें। दाहिने पैर को मोड़कर बाएं पैर के नितंब के निकट जमीन पर रखें।

बाएं पैर के ऊपर से दाहिने हाथ को लाएं बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ ले। श्वास छोड़ते हुए धड़ कों बाई तरफ इस प्रकार मोड़े कि आपकी दृष्टि बाएं कंधे पर केंद्रित रहे। बाएं हाथ को जमीन पर टिका ले और सामान्य श्वास लेते हैं। यह है  अर्धमत्स्येंद्रासन करने का तरीका

जितनी देर आप इस मुद्रा में रह सकें रहे और फिर धीरे धीरे विपरीत क्रम को अपनाकर आसन से बाहर आए। इसके पश्चात इसी क्रिया को आप दूसरी दिशा में भी करें।

सावधानियां,: 

गर्भवती महिलाएं, व्यक्ति,जिनका दिल, दिमाग या पेट का ऑपरेशन हो चुका है, ऐसे लोग इस आसन को ना करें। साथ ही पेप्टिक अल्सर या फिर जिनको रीड की हड्डी की कोई परेशानी है,ऐसे लोगों को भी इस आसन से बचना चाहिए।

अर्धमत्स्येंद्रासन के फायदे

यह आसन कंधे,गर्दन,रीढ़ की हड्डी और हिप्स के लिए फायदेमंद है। अर्धमत्स्येंद्रासन से पाचन क्रिया भी बेहतर होती है।

पवनमुक्तासन

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पवनमुक्तासन करने का तरीका 

पवन, मुक्त, आसन, यह आसन हमारे पेट से गैस अथवा पवन को बाहर निकालता है इसलिए इसे पवनमुक्तासन कहा जाता है। पवनमुक्तासन को करने का तरीका या विधि इस प्रकार है -

सर्वप्रथम पेट के बल जमीन पर सीधे लेट जाएं, पैरों को समीप ले ले। अपनी हथेलियों को जमीन पर रखकर हाथों को नितंबों के पास लाएं।

गहरी लंबी सांस लें और सास को छोड़ते हुए अपने दाएं पैर को मोड़ कर पेट के पास लाए और नितंब को हाथों से पकड़कर पेट की तरफ दबाएं।

दोबारा से गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए अपने सिर तथा छाती को जमीन से उठा है और सिर को घुटने से छूने का प्रयास करें ,जोर जबरदस्ती ना करें।

कुछ देर इसी आसन में रहे और श्वास के सामान्य प्रक्रिया के साथ धीरे-धीरे आसन से बाहर आएं।

इसी प्रक्रिया को दूसरे पैर के साथ दोहराएं। यही प्रक्रिया दोनों पैरों को एक साथ लाकर भी करें।

आसन से बाहर आने के बाद कुछ देर विश्राम करें।

ध्यान रहे, सांस छोड़ने के दौरान अपने घुटनों को कस कर पकड़ ले और छाती को दबाने का प्रयास करें ,तत्पश्चात सांस लेते समय घुटनों को थोड़ा ढीला छोड़ दें।

सावधानियां:

यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, हर्निया,मासिक धर्म, गर्दन, हाइपर एसिडिटी या कमर दर्द की कोई भी प्रॉब्लम  है तो इस आसन को न करें। गर्भावस्था के दौरान भी यह आसन न करें।

पवनमुक्तासन से लाभ

पवनमुक्तासन से कई प्रकार के फायदे हैं जो इस प्रकार है -

पवनमुक्तासन पेट से वायु को बाहर निकालकर पाचन क्रिया तथा पाचन तंत्र को सुदृढ़ बनाता है। पवनमुक्तासन एसिडिटी की समस्या से राहत पहुंचाता है।

 रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है तथा पेट और कूल्हे की मांसपेशियों को तनाव मुक्त और ताकतवर बनाता है।

हाथ और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। पेशियों की मालिश करता है।

पवनमुक्तासन रीढ़ की हड्डी का लचीलापन बड़ाकर इसे मजबूती प्रदान करता है।

भुजंगासन

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भुजंगासन करने का तरीका 

इस आसन में शरीर की स्थिति फन उठाए हुए भुजंग अर्थात सर्प की भांति होती है इसी कारण से इस आसन को भुजंग आसन कहा जाता है। भुजंगासन करने का तरीका इस प्रकार है।

पेट के बल जमीन पर लेट जाएं पैरों के टखनों को पास में रखें। हथेलियों का मुंह जमीन की तरफ करके हथेलियों को नितंब के पास रखें।

अब अपने हाथों को अंधों के समीप लाए हथेलियों को जमीन पर दिखाएं और संपूर्ण वजन हथेलियों पर देते हुए, सांस को अंदर खींचे और सिर को उठाते हुए पीछे तथा छाती को आगे की ओर ले जाने का प्रयास करें, जोर जबरदस्ती बिल्कुल ना करें। अपने कूल्हे जांघों और पैरों से जमीन पर दबाव बनाने का प्रयास करें।

जितनी देर आसानी से इस आसन में रह सके रहे फिर धीरे-धीरे आसान से बाहर आएं और विश्राम करें।

सावधानी:

हर्निया, कमर में चोट, कार्पल टनल सिंड्रोम तथा सिर दर्द के रोगी इस आसन को नहीं करें। जिन लोगों की पेट की सर्जरी हुई है वह भी इस आसन से बचें।

भुजंगासन के फायदे

पाचन तंत्र मूत्र मार्ग तथा योन शक्ति में वृद्धि होती है तथा इन अंगों से संबंधित समस्याएं दूर होती है।

रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है तथा इसका लचीलापन बढ़ता है। पेट की मांसपेशियों की मालिश होती है मांसपेशियां मजबूत होती है तथा पाचन तंत्र से संबंधित समस्याओं से निजात मिलती है।

कमर के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। भुजंगासन शरीर के मेटाबॉलिज्म को सुधार कर शरीर के वजन कम करने में सहायक होता है।

विपरीत करनी आसन

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विपरीत करनी आसन करने का तरीका 

फर्श पर पीठ के बल लेट जाएं।अपने दोनों हाथ और पैरों को जमीन पर सीधा रखें।

अब धीरे-धीरे दोनों पैरों को ऊपर उठायें और अपने ऊपर के शरीर को फर्श पर ही रखा रहने दें।अपने दोनों पैरों को 90 डिग्री कोण तक ऊपर उठायें। पैरों को ऊपर उठाने के दौरान आप अपने कूल्हे तथा कमर को हाथों से सहारा दे सकते हैं।

आसन के दौरान आपकी पीठ और सिर फर्श पर रहे।

अपनी आंखों को बंद करें और इस स्थिति में आप कम से कम पांच मिनट के लिए रुकें।

सावधानियां:

इस आसन को महिलाएं मासिक धर्म के दौरान ना करें।

अगर आपको मोतियाबिंद की समस्या है तो इस आसन से बचें।

 यदि आपको पीठ दर्द की समस्या है तो अपनी पीठ के नीचे एक मुड़ा हुआ कंबल रख कर इस आसन को करें।

कूल्हे या घुटने की चोट वाले व्यक्ति,गर्भवती महिलाओं ,ग्लूकोमा, उच्च रक्तचाप या हर्निया वाले व्यक्तियों को इस आसन को करने से बचना चाहिए।

विपरीत करनी आसन के फायदे

विपरीत करनी आसन के कुछ लाभ इस प्रकार से हैं -

इस आसन को करने से सिर में रक्त प्रवाह बड़ जाता है, जो  अवसाद और अनिद्रा से राहत दिलाता है। विपरीत करनी आसन है, मन को प्रसन्न और शांत करने,माइग्रेन और सिरदर्द से राहत प्रदान करने में सहायक है।

 यह आसन आंखों के रोग और कानों की समस्याओं में सुधार करता है। यह आसन रक्त के प्रवाह को भी नियंत्रित करता है।

 विपरीत करनी कब्ज़ की शिकायत को दूर करता है और हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ एवम् मजबूत बनाता है।  यह आंतों को स्‍वस्‍थ रखता है और डाइजेशन सुधारने में मदद करता है।

मूत्र संबंधी विकार, उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचाप को नियंत्रित करता हैं। 

 विपरीत करनी योग आसन महिलाओं में होने वाली मासिक धर्म की समस्याओं को दूर करता हैं। यह आसन मेनोपॉज और मासिक धर्म ऐंठन को कम करता है। 

हल्के पीठ दर्द से राहत दिलाता है। यह आसन थके हुए पैरों को स्वस्थ करता है। 

गर्दन और कंधों में मौजूद तनाव को दूर करने में भी यह आसन बहुत ही लाभकारी होता है।

सेतुबंध आसन

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सेतुबंधासन करने का तरीका

सेतुबंध आसन को करने का तरीका कुछ इस प्रकार है -

लेट कर टांगों को मोड़कर पैरों को हिप्स के करीब ले जाएं।। हाथों पर वजन डालकर धीरे-धीरे हिप्स को ऊपर उठाएं। पीठ मोड़ें। दृष्टि ना किया छत की ओर हो। अभ्यास अपनी क्षमता के अनुसार ही करें।

सेतुबंध आसन के फायदे

सेतुबंध आसन अत्यंत ही लाभकारी आसन है। इस आसन को करने से सीने, गर्दन व रीढ़ की हड्डी में खिंचाव होता है। इसलिए श्वसन तंत्र रीढ़ की हड्डी और गर्दन के मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। सेतुबंध आसन तनाव को कम करता है। दर्द में राहत देता है। पाचन तंत्र को मजबूत करता है।

वरिष्ठ नागरिक इन पांच आसनों को अपने दैनिक जीवन में शामिल कर कम से कम 10- 10 मिनट प्रत्येक आसन को दें तो वे अपनी जीवन शैली से संबंधित समस्याओं से काफी हद तक मुक्त रहकर अधिक उम्र में भी स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।






















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